गणेश जी की मूर्तियां बनवाने थनौद के मूर्तिकार के पास आ रहे यूपी, बिहार और हैदराबाद से आर्डर

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गणेश मूर्तियां बनाने के लिए प्रसिद्ध है दुर्ग जिले का थनौद गांव

राजनांदगांव। प्रदेश में गणेश मूर्तियां बनाने के लिए प्रसिद्ध गांव थनौद के मूर्तिकारों को अब दूर-दराज से भी आर्डर मिलने लगे हैं। इनमें मूर्तिकारों की बड़ी मदद यूट्यूबर कर रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग यूट्यूब के माध्यम से इन मूर्तिकारों की कला देख रहे हैं और पसंद आने पर आर्डर भी दे रहे हैं। थनौद गांव के ही मूर्तिकार राधे ने बताया कि उनके पास इस बार गणेश पर्व के लिए हैदराबाद और बिहार से आर्डर आए हैं। वहीं अगले साल के लिए उत्तरप्रदेश से भी आर्डर उन्हें मिल चुका है। उन्होंने बताया कि इससे पहले उनकी मूर्तियां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के साथ ही महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक जाती रही है, लेकिन यह पहला अवसर है, जब हैदराबाद और बिहार से आर्डर आया है।
उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले के थनौद गांव मूर्तिकारों के लिए ही प्रख्यात है। यहां हर दूसरे घर में एक मूर्तिकार है। इस गांव में विघ्नहर्ता की मूरत तैयार करने वाले मूर्तिकारों की कला का ही परिणाम है कि यहां पांच हजार से अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियां तैयार की जाती है और सभी मूर्तियां बिक जाती है। इनमें एक फीट से 20 फीट तक उंचाई वाली प्रतिमाएं शामिल है।
गांव में लगे रहता है मेला
भले ही देशभर में गणेश पर्व की धूम चतुर्थी से होती हो, लेकिन इस गांव में इससे महीनेभर पहले ही उत्सव जैसा महौल बन जाता है। दुर्ग-भिलाई, रायपुर, राजनांदगांव से लेकर बालाेद जैसे जिलों से लोग यहां सिर्फ मूर्तियां बनते हुए देखने आते हैं। वहीं अब बड़ी संख्या में यूट्यूबर भी यहां पहुंचने लगे हैं, जो मूर्तिकारों के इंटरव्यू लेते हुए दिखाई दे जाएंगे। पूरे गांव में महीनेभर तक मेले जैसा माहौल रहता है।
शिवनाथ से से लाते हैं मिट्टी
गणेश प्रतिमाएं तैयार करने के लिए मूर्तिकार शिवनाथ नदी के तट से चार महीने पहले ही मिट्टी ले आते हैं। वहीं हर मूर्तिकार अपने साथ आधा दर्जन से लेकर दर्जनभर कलाकरों को रखता है। इनमें मूर्ति को पेंट करने से लेकर उसकी बारीकियां निखारने की जिम्मेदारी अलग-अलग कलाकार को दी जाती है। खास बात यह है कि सभी कलाकार इस गांव के ही हैं।

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