हिन्दी को अब तक नहीं मिला राष्ट्रभाषा का दर्जा आज भी राजभाषा तक ही सीमित

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दुर्ग।  मोहन लाल जैन (मोहन भैय्या) शासकीय महाविद्यालय खुर्सीपार, भिलाई, जिला-दुर्ग, छ. ग. के ‘हिन्दी विभाग’ द्वारा विभागाध्यक्ष डॉ. रोली यादव के संयोजन में ‘हिन्दी दिवस’ पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कल्याण महाविद्यालय भिलाई की हिंदी प्राध्यापक डॉ फिरोजा जाफर अली उपस्थित रहीं। इस अवसर पर उन्होंने बोलते हुए कहा कि भारत बहुभाषी एवं बहु संस्कृति वाला देश है। भाषा की विविधता ही भारत की पहचान है क्योंकि हर भाषा के पास अपनी संस्कृति होती है जितनी ज्यादा भाषाएं हमारे पास होंगी उतनी ज्यादा संस्कृतियों के जीवित रहने की संभावना रहेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संपादक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दीन दयाल साहू जी ने की। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप ही स्वीकार किया, लेकिन तब उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया और एक वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में अंग्रेजी के वर्चस्व को बना रहने दिया। दो सौ वर्षों की गुलामी के बावजूद भारत को राजनीतिक आजादी तो मिल गई, लेकिन हमारी भाषा की भी आजादी होती है,ऐसी किसी भी अवधारणा को सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया। आगे उन्होंने हिंदी भाषा को व्यावहारिक जीवन में अपनाने की बात कही।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राओं ने भी हिंदी दिवस पर अपने विचारों से अवगत कराए।
  कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजलि जोशी ने व स्वागत उद्बोधन डॉ रोली यादव ने दिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ विनोद कुमार साहू, डॉ निभा ठाकुर, डॉ सोमलता, डॉ चित्रकिरण पटेल समेत भारी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।

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