आदिवासियों से बड़ा हिंदू कोई नहीं है : सीएम साय

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  • आदिवासी शिव-पार्वती की उपासना करते हैं, आदिवासियों को विधर्मियों से डरने की कोई जरूरत नहीं है

रायपुर/जशपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि जो लोग कहते हैं कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, तो ऐसे विधर्मियों से हमें सावधान रहना है। हम आदिवासी लोग शिव-पार्वती की पूजा करते हैं, आदिवासियों से बड़ा हिन्दू कोई नहीं हो सकता है। इसलिए मैं आदिवासी भाई-बंधुओं से आग्रह करता हूँ कि बस्तर से लेकर सरगुजा, जशपुर तक आदिवासियों की एकता को तोडऩे का प्रयास जो विधर्मी कर रहे हैं, उनके बहकावे में नहीं आना है, उनको करारा जवाब देना है। आज आपका आदिवासी बेटा प्रदेश का मुखिया है इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है, आप सभी आराम से अपना खेती-बाड़ी और रोजगार का काम करें। आप सभी के हित के लिए हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार खड़ी है।


जशपुर के वनवासी कल्याण आश्रम में आदिवासियों के सबसे बड़े त्यौहार सरहुल सरना पूजा महोत्सव में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि एक मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व है कि जशपुर का नाम ऊँचा हो, जशपुर का नाम कभी भी नीचा न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरहुल खद्दी पूजा में हम आदिवासी प्रकृति की, पेड़-पौधे, सरई पेड़ की पूजा करते हैं। हम आदिवासी साल भर जो करते हैं और जो गलती करते हैं उसके लिए धरती माता, महादेव-पार्वती से क्षमा मांगते हैं। आने वाले साल में हम सबका जीवन मंगलमय हो, सुखमय हो, परिवार अच्छे से रहे, खेती अच्छा हो, बरसात अच्छा हो इसके लिए हम आज के दिन धरती माता और महादेव-पार्वती की पूजा करते हैं, उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सदैव सुख-समृद्धि हो, सबका जीवन मंगलमय हो इसकी कामना मैं धरती माता और महादेव-पार्वती से करता हूँ। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्र में शक्ति की पूजा होती है। तो हमारी प्रकृति भी शक्ति की एक स्वरुप है। माँ दुर्गा का एक नाम प्रकृति भी है। हम आदिवासी प्रारम्भ से ही प्रकृति और शक्ति दोनों की पूजा करते हैं।

दिलीप सिंह जूदेव को किया याद

मुख्यमंत्री ने दिलीप सिंह जूदेव को याद करते हुए कहा कि जशपुर को कुमार साहब ने बचा कर रखा। आदिवासियों का धर्मांतरण होने से रोका, दर्जनों पदयात्रा की, घर वापसी कार्यक्रम चलाया, राजा होकर भी लाखों धर्मान्तरित लोगों के पांव धुलाकर हिन्दू धर्म में वापसी कराई। गौहत्या के विरोध में कई पद यात्राएं की, तब हमारा जशपुर बचा है। हमें राजा साहब के दिखाए मार्ग पर चलना है और विधर्मियों के बहकावे में नहीं आना है। धर्मांतरण को करारा जवाब देना है, जशपुर को बचाना है।

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