नक्सलियों की टूटी कमर : सुकमा के गांव अरलमपल्ली में ‘लगान’ वसूली बंद

अब पूरा गांव सुरक्षाबलों के घेरे में file photo

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अब पूरा गांव सुरक्षाबलों के घेरे में

जगदलपुर । प्रदेश में नक्सली लगातार बैकफुट पर हैं। सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी ऑपरेशन व लगातार हो रहे एनकउंटर से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कमर टूट गई है। धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कैंप खुलने से गांवों में विकास हो रहा है और ग्रामीण काफी खुश हैं। इस बीच सुकमा जिले का एक गांव के लोगों ने पहली बार नक्सल संगठन को वनोपज का वार्षिक हिस्सा नहीं दिया है। इस गांव को नक्सलियों का पक्ष वाला बताया जाता है। यह गांव पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के अरलमपल्ली गांव है।

सुरक्षाबलों द्वारा इलाके में लगाए गए कैंप और लगातार जारी ऑपरेशन से ग्रामीणों का हौसला भी बुलंद हुआ है। मामला पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के अरलमपल्ली गांव का है। बताया जाता है कि प्रति वर्ष गांव के लोगों से नक्सलियों के स्थानीय संगठन द्वारा महुआ के सीजन में प्रति घरों से एक पैली महुआ लिया जाता था। इसी तरह धान की फसल कटने के बाद प्रति परिवारों द्वारा नक्सलियों को एक खंडी यानी 20 पैली धान भी देना होता था। इसी प्रकार तेंदूपत्ते के सीजन में ग्रामीण 20 से 50 गड्डी तेंदूपत्ते का पैसा दिया करते थे। इस वर्ष इस गांव के लोगों ने महुआ सीजन खत्म होने के बाद भी नक्सलियों को उनका हिस्सा नहीं दिया गया है।

अरलमपल्ली वही गांव है जहां 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से पूर्व नक्सलियों ने गांव में बने स्कूल व पुराने पंचायत भवन में चुनाव का बहिष्कार करने के नारे लिखे थे। जब 2006 में नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम अभियान की शुरुआत हुई तो इस अभियान में अरलमपल्ली गांव के दो परिवारों को छोड़ दें तो गांव का कोई भी ग्रामीण इस अभियान का हिस्सा नहीं बना। इसके बाद ग्रामीणों ने सलवा जुडूम के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सुरक्षाबलों के साथ मिलकर गांव के 129 घरों में आगजनी कर दी थी। इस घटना के बाद अरलमपल्ली गांव के ग्रामीणों का झुकाव नक्सल संगठन की ओर हो गया था।

अब पूरा गांव सुरक्षाबलों के घेरे में

वर्तमान में अरलमपल्ली गांव का पूरा इलाका सुरक्षाबलों के कैंपों से घेरा जा चुका है। दोरनापाल से जगरगुंडा मार्ग पर चिंतागुफा तक पहले से ही कई सारे कैंप मौजूद हैं। वहीं दोरनापाल से इंजरम व इंजरम से भेज्जी के बीच भी यह इलाका सीआरपीएफ, कोबरा व डीआरजी के कैंप से घिरा हुआ है। इसी प्रकार भेज्जी से चिंतागुफा के बीच कुछ समय पहले ही सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया है। ऐसा माना जाता रहा है कि भेज्जी से चिंतागुफा के बीच बड़े से इलाके से नक्सली अरलमपल्ली, पालामडगु व जग्गावारम में आया जाया करते थे। यहां कैंप लगने के बाद से हथियारबंद नक्सली अब नहीं आ पा रहे हैं। अब गांव के लोग गांव में मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। लोगों को गांव में स्कूल, अस्पताल, मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण, भूमि समतलीकरण, सोलर पंप, वन भूमि का पट्टा, सामुदायिक भवन व बेहतर आवागमन के लिए पक्की सड़क आदि चाहिए।

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