विधानसभा से ठीक पहले भाजपा के एक सूर्य का ‘अस्त’ तो दूसरे का ‘उदय’

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बाफना ने राजनीति से कहा अलविदा ! , संजय को प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी

जगदलपुर.न्यूज टर्मिनल (अनुराग शुक्ला)

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बस्तर की राजनीति में भाजपा के टिकट वितरण के बाद बदलते बिगडते समीकरण सामने आ रहे ह । दो बार के जगदलपुर विधायक रह चुके संतोष बाफना को पूरी आस थी कि उनके नाम पर पार्टी की आम सहमति बनेगी। उनकी तैयारियां भी थी। शहर से लेकर विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में बाफना ने अपनी तैयारी कर रखी थी। भाजपा ने बाफना की जगह नए चेहरे के तौर पर शहर के पूर्व महापौर किरण देव पर विश्वास जताया। इसके बाद संतोष बाफना के समर्थकों में निराशा देखी गई।

बाफना ने पार्टी का साथ देने और चुनाव में अपनी सहभागिता निभाने की बाद कहते यह कहा कि पार्टी ने उनसे कुछ छिना नहीं है उन्होंने यह नहीं कहा कि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। खुद को नाराज नहीं बताते बाफना ने समर्थकों के बीच कहा कि पार्टी के इस निर्णय के बाद उनकी राजनीति का लगभग अंत है। इसी के विपरित भाजपा के लिए बस्तर में आदिवासी नेता के तौर पर और प्रदेश के लिए पहचाने हुए नाम केदार कश्यप को पार्टी ने नारायाणपुर से अपना प्रत्याशी घोषित किया। केदार इससे पहले भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रहे।

चुनावी समर में उतरने से पहले उनके पद को भी उनके खास संजय पांडेय को दिया गया। संजय पहले से निगम की राजनीति में करीब बीस साल से सक्रीय हैं। लगातार संगठन से जुडकर वे सक्रीय तौर पर काम करते रहे हैं। यहां खास बात यह है कि केदार कश्यप और संतोष बाफना ही ऐसे चेहरे थे जो भाजपा की नाव को पांच साल तक पार लगाते रहे। सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा के कई नेताओंं ने सत्तासुख तो भोगा लेकिन पार्टी के लिए जब जेब ढिली करने की बात सामने आई तो किनारा काटते रहे। बाफना और केदार के संबंध के बीच केदार के खास माने जाने वाले संजय पांडेय का शुरू से ही संतोष बाफना से विरोध रहा। पार्टी की गतिविधियों में सत्ता और संगठन का टकराव दिखता रहा।

खुलकर किसी तरह की बात सामने नहीं आई। अब पूर्व महापौर और संगठन के लिए पसीना बहाने वाले किरण देव को टिकट मिलने के बाद जो नए समीकरण सामने आ रहे हैं वो यह स्पष्ट करते हैं कि भाजपा में एक सूर्य अस्त हो चुका है और दूसरे सूर्य का उदय हो रहा है। बाफना ने अपनी राजनीति के अंत का इशारा किया है वहीं निगम की राजनीति से उठाकर संजय पांडेय को ठीक चुनाव के पहले प्रदेश प्रवक्ता के पद पर बैठाया गया है। इससे अब आने वाले समय में संजय पांडेय का नाम भी चर्चा में जुडने की संभावना है। वर्तमान विधानसभा के चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे के आगे चलकर राजनीति की दशा और दिशा कैसी होगी। फिलहाल भाजपा के लिए बस्तर में कांग्रेस के किले को भेदना एक चुनौती से कम नहीं है।

जगदलपुर विधानसभा में काम करने से मनाही

बाफना ने स्पष्ट किया है कि वे जगदलपुर विधानसभा को छोड अन्य 89 विधानसभा में कहीं भी काम करने को तैयार रहेंगे। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी उसका निर्वहन करेंगे। जगदलपुर विधानसभा में उनकी दावेदारी फेल होने के बाद बाफना का मानना है कि चुनावी समर में उनके कार्य का सही आंकलन नहीं हो सकेगा। वे जीत और हार में अपनी सहभागिता से दूर होना चाह रहे हैं।

केदार के लिए भी चुनौती

नारायणपुर विधानसभा के प्रत्याशी के तौर पर केदार कश्यप के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। उनकी जीत और हार पर आगे की राजनीति टिकी होगी। केदार के लिए वर्तमान विधायक चंदन कश्यप से टक्कर कठिन होने की संभावना है। भाजपा की नजर कांग्रेस के टिकट वितरण पर है। यदि चंदन कश्यप की जगह रजनू नेताम को कांग्रेस अपना प्रत्याशी बनाती है तो भाजपा के लिए यह ज्यादा सुखद खबर होगी।

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