गुमा उरला में 75 एकड़ भूमि पर अवैध प्लॉटिंग का खुलासा, ग्रामीणों में आक्राेश

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी से सटे गुमा उरला गांव में मंदिर निर्माण के नाम पर लगभग 75 एकड़ भूमि पर अवैध प्लॉटिंग किए जाने का मामला सामने आ रहा है। शेरिक इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर श्याम अग्रवाल और श्री राम लॉजिस्टिक पार्क के पार्टनर योगेश जैन, अभिषेक अग्रवाल, राकेश साहू एवं अनिल अग्रवाल नाम की निजी कंपनियों द्वारा प्रोजेक्ट को अंजाम दिया जा रहा है, जिसमें 200 सौ साल पुराने प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार कर मंदिर के नाम का उपयोग कर जमीन की अवैध प्लॉटिंग और प्लाट की बुकिंग की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस जमीन में से करीब 51 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट श्याम अग्रवाल, योगेश जैन, अभिषेक अग्रवाल, अनिल अग्रवाल और राकेश साहू के नाम पर है। इस प्रोजेक्ट का खेल मंदिर के नाम पर आपसी गठजोड़ के जरिए प्लॉटिंग के लिए तैयार किया, एक बड़े समारोह के जरिए प्लॉट्स की बुकिंग शुरू कर दी। इस कथित लॉन्चिंग कार्यक्रम में जमीन की बुकिंग गतिविधियां खुलेआम चल रही थीं।

जब मीडिया ने इस बारे में सवाल किए, तो श्री राम लॉजिस्टिक पार्क के पार्टनर योगेश जैन ने ऑन कैमरा कहा- कि कोई प्लॉटिंग या बुकिंग नहीं हो रही। हमारे प्लांट से लगे 200 सौ साल पुराने प्राचीन मंदिर को हम भव्य रुप देने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए भूमिपूजन का कार्यक्रम आयोजित किए हैं ।
ग्रामीणों में क्यों है आक्रोश ?
इस पूरे घटनाक्रम से स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। ग्रामवासियों का कहना है कि मंदिर निर्माण के नाम पर गांव की ज़मीन को हथियाया गया और अब उस पर प्लॉटिंग कर व्यापारिक लाभ कमाया जा रहा है। यह सिर्फ ग्रामीणों के साथ धोखा नहीं है, बल्कि धार्मिक आस्था के नाम पर एक बड़ा षड्यंत्र भी है। गांव के कुछ वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि इस जमीन में लगभग 5 एकड़ भूमि घास जमीन के रूप में दर्ज है, जो सरकारी श्रेणी की जमीन होती है। इसके अलावा इसमें सरकारी धरसा भी शामिल है, जिसे बेचना या उस पर निर्माण करना पूरी तरह अवैध माना जाता है। पूरे प्रकरण में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। इतना बड़ा निर्माण और भूखंड विक्रय कार्य चल रहा है, लेकिन अब तक न तो किसी तरह की जांच हुई है और न ही कोई रोकथाम की कार्रवाई की गई है। यह सवाल उठता है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस गतिविधि की जानकारी है भी की नही? आखिर वे चुप क्यों हैं?
क्या इसमें प्रशासनिक मिलीभगत है या फिर अधिकारियों की अनदेखी?
भूमि विकास अधिनियम के अनुसार, बिना डायवर्शन और संबंधित अनुमति के किसी भी प्रकार की प्लॉटिंग गैरकानूनी है। इसके बावजूद यह कार्य धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे यह साफ होता है कि जमीन माफियाओं और राजनैतिक संरक्षण के बीच कहीं न कहीं एक गठजोड़ मौजूद है। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस अवैध प्लॉटिंग को नहीं रोका गया, तो वे आंदोलन के रास्ते पर उतरने को मजबूर होंगे।