घरघोड़ा चुनाव : पलटीबाज नेता फिर बिगाड़ सकते हैं समीकरण, असंतोष की चुनौती बड़ी
घरघोड़ा(गौरीशंकर गुप्ता)। नगर पंचायत घरघोड़ा की राजनीति एक बार फिर अस्थिरता के बादलों से घिरती नजर आ रही है। चुनावी माहौल गर्माने लगा है, लेकिन इस बार भी सबसे बड़ा सवाल वही है क्या असंतुष्ट नेता और पलटीबाजी की पुरानी कहानी दोहराई जाएगी?
पिछले चुनाव में अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष का चुनाव हुआ था, लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियों—भाजपा और कांग्रेस—को अपने ही पार्षदों के असंतोष का सामना करना पड़ा। नतीजतन, नगर सरकारें बनीं और गिरीं। इस बार भी टिकट वितरण के बाद असंतोष का माहौल बनने के संकेत मिलने लगे हैं।
पलटीबाजी से जनता का विश्वास टूटा
घरेलू राजनीति में सवाल उठता है कि क्या नेताओं की जिम्मेदारी केवल पार्टी तक सीमित है, या जनता के विश्वास को भी बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए? पार्षद बनकर जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले कई नेता पिछले चुनावों में पलटीबाजी कर अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने में शामिल हो गए थे। इसे जनता ने विश्वासघात के तौर पर देखा।
दोनों पार्टियों के लिए चुनौती
भाजपा ने अपनी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जबकि कांग्रेस की सूची जल्द आने वाली है। ऐसे में टिकट से वंचित नेताओं का असंतोष बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है। यदि इन असंतुष्ट नेताओं को साधने में पार्टी असफल रहती है, तो यह दोनों दलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। पिछली बार की तरह, असंतुष्ट नेता यदि फिर से “घर के भेदी” बन जाते हैं, तो घरघोड़ा की राजनीति में नया भूचाल आ सकता है।
क्या सबक लेंगी पार्टियां?
अब सवाल यह है कि क्या दोनों प्रमुख दल पिछली गलतियों से सबक लेकर संतुलन साध पाएंगे? या फिर घरघोड़ा की राजनीति एक बार फिर पलटीबाजी का शिकार होगी? दोनों ही पार्टियां इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेंगी। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, घरघोड़ा में राजनीति का तापमान बढ़ता जा रहा है। जनता को इस बार अपने नेताओं से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि भरोसे और स्थिरता का भी होगा।