PM मोदी की बांग्लादेश यात्रा में छिपे हैं कई कूटनीतिक संदेश, बंगाल चुनाव पर भी होगा असर
बंगाल चुनाव के पहले चरण के मतदान के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा राजनीतिक और कूटनीतिक दोनों तरीके से बहुत महत्वपूर्ण समझी जा रही है। पहले चरण के चुनाव के पहले बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के लोगों से पीएम मोदी की मुलाकात का राजनीतिक निहितार्थ निकाला जा रहा है।
जानकार मानते हैं कि चुनाव की सियासत को अगर छोड़ दें तो प्रधानमंत्री की कोविड के दौर में करीब 497 दिनों बाद पहली विदेश यात्रा के तौर पर बांग्लादेश जाना काफी खास है। चीन की इस इलाके में लगातार बढ़ती दिलचस्पी के बीच भारत ने बांग्लादेश की तमाम चिंताओं को दूर करते हुए अपने करीब रखा है। जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री की यात्रा से दोनों देशो के संबंध और भी मजबूत होंगे।
कूटनीति, सुरक्षा,व्यापार अहम
दोनों देशों के संबंधों पर करीब से नजर रखने वाले विवेकानंद फाउंडेशन के सीनियर फेलो पी.के. मिश्रा का कहना है कि बांग्लादेश से भारत के रिश्ते नेबरहुड फर्स्ट की नीति के अलावा कूटनीति व सुरक्षा और परस्पर व्यापार के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश सार्क में भी भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय रणनीति में भी भारत के लिहाज से उसका किरदार अहम है। भारत ने कोविड के दौर में रिश्तों की खास अहमियत के मद्देनजर बांग्लादेश का पूरा ख्याल रखा है।
इन वजहों से यात्रा की चर्चा
जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा राजनीतिक मायनों से अलग हटकर तीन वजहों से चर्चा में है। पहली- मुजीब बोरशो, शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी, दूसरी- भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 साल और तीसरी- बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए हुए युद्ध के 50 साल के स्मरणोत्सव से संबंध रखती है।
ज्वलंत मुद्दों पर आपसी समझ बढ़ाएंगे
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए हैं। शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्तालाप के अलावा, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मो. अब्दुल हामिद, बांग्लादेश के विदेशमंत्री डॉ. ए.के. अब्दुल मोमेन के साथ भेंट से निकलने वाले नतीजे भारत और बांग्लादेश के रिश्तों को नई मजबूती देंगे। दोनो देश व्यापार बढ़ाने, आवाजाही के लिहाज से संपर्क मजबूत करने, सीमा संबंधी मुद्दों, रोहिंग्या सहित तमाम ज्वलंत व प्रासंगिक क्षेत्रीय मुद्दों पर समझ बढ़ाएंगे।
कोरोना काल मे पहली विदेश यात्रा
जानकारों का कहना है कि अहम बात यह भी है कि कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से यह प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा है। करीब 497 दिनों के बाद नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा कर रहे हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने नवंबर 2019 में आखिरी दौरा ब्राजील का किया था। जबकि प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश में अपना पिछला दौरा 2015 में किया था। पीएम मोदी के लिए पिछला साल 2020 ऐसा रहा, जब वह किसी विदेशी यात्रा पर नहीं गए।
मतुआ समुदाय से मुलाकात के सियासी मायने
पीएम नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश में अनुसूचित जाति समूह मतुआ समुदाय से मिलना राजनीतिक दृष्टि से चर्चा में है। पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है। पश्चिम बंगाल की कम से कम छह संसदीय सीटों में इनकी उपस्थिति है और 70 विधानसभा सीटों पर असर रखता है।