उत्तम द्रव्यों से भगवान की आराधना न कर सको तो मंदिर की साफ-सफाई ही कर दीजिए : पूज्य पंन्यास श्रमणतिलक विजय जी
वर्धमान जैन मंदिर : लाभार्थी परिवार ने दादा गुरूदेव की प्रतिमा, अखंड दीपक और कलश की स्थापना
रायपुर। न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में गुरूवार को दादा गुरूदेव की इकतीसा शुरू हुई। मंदिर में सुबह गाजे-बाजे के साथ दादा गुरूदेव की प्रतिमा, अखंड दीपक और कलश की स्थापना की गई। पूज्य पंन्यास श्रमणतिलक विजय जी आदि ठाणा की पावन निश्रा में मंत्रोच्चार के साथ लाभार्थी परिवारों ने गुरूदेव की प्रतिमा, 11 दिनों तक जलने वाले अखंड दीपक और चांदी के कलश की स्थापना की और तोरण लगाया गया। वर्धमान जैन मंदिर में ‘गुरुवार से दादा गुरूदेव का इकतीसा जाप शुरू हो चुका है जो 8 सितंबर चक चलेगा। इकतीसा जाप के शुभारंभ के अवसर पर दादा गुरुदेव प्रतिमा स्थापना के लाभार्थी जसराज, पुष्पदेवी, ललित कुमार बेगानी परिवार रहे। कलश स्थापना के लाभार्थी निर्मलादेवी, शांतिलाल पिंचा परिवार रहे, अखंड दीपक के लाभार्थी कमलादेवी पुखराज, अनिल कुमार, संध्या देवी लोढ़ा परिवार रहे। वहीं, तोरण के लाभार्थी इंदरचंद, महावीरचंद कोचर परिवार, शैलेंद्र नगर, रायपुर रहे।
वर्धमान जैन मंदिर में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में बुधवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने 63 शलाका ग्रंथ पर आधारित भगवान महावीर स्वामी जी के जीवन का सार बताते हुए कहा कि चातुर्मास के दौरान हम जीवन जीने और मोक्ष को प्राप्त करने की शिक्षा लेते हैं। इन चार महीना में हमें अपने जीवन को धन्य कर लेना है, आत्मा को पुण्य बनाना है। जबकि आज लोग इसके उलट काम करते हैं, भगवान का स्थान मंदिर में होना चाहिए तो आज उन्हें मोबाइल में लाकर बैठा दिया गया है, यह भगवान के लिए बहुत ही नीचे का स्थान है, ऐसा नहीं करना चाहिए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आज लोग मंदिर में भगवान को चॉकलेट चढ़ाते हैं यह हमारी ही डीवैल्युएशन हो रही है। जब आप किसी के घर जाते हैं तो क्या आप उन्हें चॉकलेट देते हैं। बच्चों को चॉकलेट दे दिया तो यह चलता है लेकिन क्या बड़े बुजुर्गों को आप चॉकलेट देना पसंद करेंगे। आपको भगवान को चावल चढ़ाना चाहिए, दूध चढ़ाना चाहिए जबकि लोग चढ़ाते तो हैं लेकिन कितना सा चावल, एक मुट्ठी भर भी नहीं। दूध भी एक लोटे के बराबर नहीं होता और ऊपर से उसमें पानी मिला देते हैं। आपको उत्तम पदार्थ से भगवान की भक्ति करनी चाहिए। लोग आज घूमते-फिरते खाली हाथ मंदिर चले जाते हैं और भगवान से अपने स्वार्थ की चीजें मांगते हैं। इसके साथ ही वह मंदिर में रखे पदार्थ से ही भगवान का अभिषेक-पूजन करके वापस आ जाते हैं। जबकि आपको खुद के द्रव्य से पूजा करनी चाहिए जितनी शक्ति है उतना द्रव्य लगाइए। यदि द्रव्य लगाने की शक्ति नहीं है तो मंदिर की साफ सफाई कर लीजिए, भगवान के दर्शन करने आने वाले लोगों को आप माला गूंथ कर दीजिए। जब भगवान के लिए हमारे अंदर भाव ही नहीं होगा तो भगवान भी हमारी मदद नहीं कर पाएंगे।
श्री मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री धर्मराज जी बेगानी और आत्मकल्याण वर्षावास समिति के अध्यक्ष अजय कानूगा ने बताया कि न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर में आत्मकल्याण वर्षावास 2024 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में भगवान महावीर के जीवन को सूक्ष्मता से जानने का अवसर मिल रहा है। प्रतिदिन सुबह 9ः00 से 10ः00 बजे मंदिर में मुनिश्री की प्रवचनमाला जारी है। आप सभी इसका अधिक से अधिक लाभ ले और अपने जीवन को सफल बनाएं।