आम बजट : छत्तीसगढ़ चेम्बर ने आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण के लिए केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और सुनील सिंघी को सुझाव भेजा

Spread the love

छत्तीसगढ़ चेम्बर ने आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण के लिए केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड चेयरमेन सुनील सिंघी को सुझाव भेजा

रायपुर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि आज दिनांक 07 जनवरी 2022, शुक्रवार को छत्तीसगढ़ चेम्बर द्वारा पत्र प्रेषित कर आम बजट हेतु आयकर संबंधी सुझाव दिया गया।
अमर पारवानी ने पत्र के माध्यम से बताया कि औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से प्राप्त आयकर संबंधी सुझाव निम्नानुसार
है:-
आयकर संबंधी सुझाव:-
– नगद लेन देन सीमा के 269SS / 269T अंतर्गत नगर लोन / डिपाजिट लेन-देन की सीमा जो कि वर्तमान में मात्र बीस हजार है उसे दो लाख किया जाना चाहिए।

– 40A(3) अंतर्गत नगद खरीदी-बिक्री की सीमा जो कि वर्तमान मे दस हजार है वह दो लाख तक होनी चाहिए।
– मशीनरी, दुपहिया वाहन, चार पहिया एवं स्थायी संपत्ति (10 हजार से अधिक) नगद में खरीदने से अब डेप्रिसियेशन नहीं मिलेगा । जबकि इसे पूर्ववत रखना उचित रहेगा। नये बजट प्रावधानों में 2 लाख या अधिक रूपये से अधिक की राशि एक सौदों के बदले एक दिन में 1 अप्रैल 2017 के बाद नगद नहीं ली जा सकती है। इससे व्यापार उद्योग में नगदी प्रवाह मे रोक
लगेगी ।
– वेतन आय के स्थिति में 50000/- मानक छूट को बढ़ाकर 200000/- किया जाना चाहिए।
– धारा 44।क्। अन्तर्गत 50 प्रतिशत लाभ घोषित किये जाने वालों प्रावधानों में संशोधन करके, 30 प्रतिशत तक सीमा किया जाना चाहिए।
हाउस प्रापर्टी संबंधित

-हाऊसिंग लोन मे ब्याज की छूट 2,00,000 रूपये छूट है उसे बढाकर रूपये 4 लाख तक किया जाना चाहिए ।

– कैपिटल एसेस्टस बेचने पर होने वाले लांग टर्म लाभ को जिस तरह एक रेसिडेन्सियल हाऊस (घर) खरीदने पर समायोजन
मिलता है, उसी प्रकार नये उद्योगों व विस्तार के लिए प्लांट व मशीनरी खरीदने मे इन्वेस्ट करने पर समायोजन का लाभ मिलना चाहिए।
– बिल्डर के लिए काल्पनिक किराये पर 12 माह के बाद टैक्स लगाना उचित नहीं है। वर्तमान समय में किराया आय पर 30
प्रतिशत मानक छूट मिलता है, जिसे बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
टी. डी. एस. S
टी. डी. एस. काटने के लिए बैंक के ब्याज मे 40,000/50,000रूपये तक तथा अन्य ब्याज पर 10,000 रूपये
तक के ब्याज की छूट है इस लिमिट को बढाकर 1,00,000 रूपये कर दिया जाना न्यायसंगत होगा। इसमे बचत खाते के साथ ही एफ. डी. आर. खातों के ब्याज को भी सम्मिलित करना उचित होगा।
धारा 234 (ई):- जिसमें टी. डी. एस. के रिर्टन विलंब से प्रस्तुत किये जाने पर जो शुल्क (200 रूपये प्रतिदिन) विभाग द्वारा लिया जाता है उसे समाप्त किया जाना चाहिए।
आयकर रिटर्न:-2022-23 के लिए इनकम टैक्स स्लेब निम्न प्रकार से होना चाहिए जिससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति दी।

UPTO 5 LACS NIL TAX
500001 TO 1000000 5%
1000001 TO 25 LACS 10%
2500001 YO 50 LACS 20%
ABOVE 50 LACS 30%


आयकर सर्च एवं सर्वे
– आयकर के नियमों के अनुसार 8 वर्ष तक के रिकार्ड रखे जाने के प्रावधान हैं पूर्व की स्थिति में सर्च होने पर विगत 6 वर्ष के
रिकार्ड की जांच की जा सकती थी किन्तु नये प्रावधानों के अनुसार 10 वर्षों के रिकार्ड की जांच सर्च में की जा सकती है यह नियम व्यवहारिक नहीं हैं, क्योंकि यदि व्यवसायी के पास 8 वर्ष के रिकार्ड हों तो 10 वर्षों के रिकार्ड की जांच कैसे की जा सकती है इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए ।
– आयकर सर्च की स्थिति मे 75 प्रतिशत तक कर व पेनाल्टी शास्ति आरोपित करने के प्रावधान बनाये गये हैं, इसमें तो नागरिक की जिंदगी भर की मेहनत की पूरी कमाई ही चली जायेगी । इस प्रकार के प्रावधान को खत्म किया जाए । पूर्व के वर्षों में 30 प्रतिशत पेनाल्टी लगाई जाती थी उसे यथावत रखा जावे।
– सर्च के दौरान संपत्ति के प्रोविजन अटैचमेंट के जो प्रावधान बजट में लाये गये हैं वे अव्यवहारिक हैं।


अन्य प्रावधानों में सुधार हेतु सुझाव
– Section -44 (AD) – छोटे एवं खुदरा व्यवसायियों को 5 प्रतिशत की दर से लाभ की गणना की जाये जो कि वर्तमान में 6 या 8 प्रतिशत है, यह अधिक है।
– Section 44 AD- के अंतर्गत मात्र बिक्री की सूचना (विवरण) लेनी चाहिए ।
– Section -44 (AB – टैक्स आडिट लिमिट 1 करोड की जगह 5 करोड़ किया जाए।
– धारा 80 सी की लिमिट एक लाख पचास हजार रूपये से तीन लाख रूपये तक किया जाना चाहिए
-Section 154 (RECTIFICATION OF MISTAKE) S INTEREST ON REFUND

– Section 154 (RECTIFICATION OF MISTAKE)
– INTEREST ON REFUND
SITO (INTERNATIONAL TAXATION)
– CIT (Apeals) Central, CIT (Exampions), CIT (Central) & CIT (TDS)
– Section 56 (2) ऽ वायदा बाजार:- कृषि जिन्सो पर वायदा शीघ्र बंद हों । इसमे किसानों का शोषण, व्यापारियों को झुठे आरोपों से मुक्ति तथा आम जनता को मंहगाई से राहत मिलेगी।
– खुदरा व्यापार को बढ़ावा देने:- खुदरा व्यापार स्वरोजगार का सबसे बडा साधन है, लगभग साढे तीन करोड भारतीयों को खुदरा व्यापार रोजगार देता है।
– प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ बैंक व्यापारियों को उचित ढंग से नहीं दे रहे हैं। स्थाई में इसके लिए ठोस प्रावधानों की आवश्यकता है। मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया जाना चाहिए। श्री पारवानी ने माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमण जी, केन्द्रीय वित्तमंत्री से निवेदन किया कि व्यापार एवं उद्योग के हित में आयकर संबंधी उपरोक्त सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *