यह संविधान और लोकतंत्र बचाने का चुनाव : चंदन
जब वोट लेना हो तो मोदी खुद को पिछड़ा बताते है, पिछड़ो के हक की बात हो तो कहते है देश में कोई जाति नहीं
रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रभारी डॉ. चंदन यादव ने कहा, यह लोकसभा चुनाव सिर्फ सत्ता के परिवर्तन का चुनाव नहीं है, दो विचारधारा का चुनाव है। संविधान बचाने का चुनाव है और देश को बनाने और बचाने का चुनाव है। भाजपा ने जिस नीयत और नीति से 400 पार का नारा दिया था, अब वो जनता के बीच आ गया है कि उसका मतलब क्या है? कहीं जमीन पर कोई हकीकत नहीं थी 400 से नीचे जा रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव चढ़ता जा रहा है भाजपा उसी तेज रफ्तार से नीचे जा रही है।
उन्होंने कहा, 400 पार का क्या मतलब होता है, कई बड़े नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा वो संविधान बदलना चाहते हैं। जब जनता को बात समझ आ गई, तब भाजपा के नेता सफाई दे रहे हैं, लेकिन वो सफाई सच्चाई से परे है। भाजपा ने पहली बार ऐसा नहीं किया है। जब पहली बार एनडीए की सरकार बनी थी, तब बाजपेयी की सरकार ने कॉन्स्टिट्यूशन रिव्यू कमेटी बनाई थी, जिसके अध्यक्ष जस्टिस वेंकटेश चिलैय्या थे। जब-जब भाजपा की सरकार बनी है, तब-तब वो संविधान बदलने का प्रयास करते रहे हैं। भाजपा और आरएसएस की जो मूल विचारधारा है और देश का संविधान है, वे परस्पर विपरीत है। हमारा संविधान कहता है, आजादी के संघर्षों के दौरान जो उत्पन्न हुई, वो इस देश का संविधान है।
छत्तीसगढ़ में सामाजिक न्याय की हत्या
उन्होंने कहा, सरगुजा में प्रधानमंत्री आये थे। इसी छत्तीसगढ़ में भाजपा ने उनकी डबल इंजन की सरकार ने मिलकर कैसे छत्तीसगढ़ की धरती पर सामाजिक न्याय की हत्या की। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा के आरक्षण बिल पास करा कर गवर्नर के पास भेजा, अभी तक हस्ताक्षर नहीं हुआ। कौन है इसका जिम्मेदार? छत्तीसगढ़ की जनता सवाल कर रही है कि आज सामाजिक न्याय की हत्या है कि नहीं है?
जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती भाजपा
उन्होंने सवाल किया कि जातिगत जनगणना भाजपा क्यों नहीं कराना चाहती? कोई भी योजना या नीति बनाते हैं उनका आधार डेटा होता है। आधार होना चाहिये कि आप निर्णय क्यों ले रहे हैं? हिन्दुस्तान में जाति एक सच्चाई है और जाति आधार पर भेदभाव है, ये भी एक सच्चाई है। संविधान कहता है कि इस भेदभाव को कम करना है, खत्म करना है। जब तक हमारे पास डेटा नहीं रहेगा, तब तक इस भेदभाव को खत्म नहीं कर पायेंगे। भाजपा डेटा कलेक्शन से क्यों घबरा रही है?