कतर से लौटे सौरभ बोले- शब्द नहीं मेरे पास, मां-बाप, पत्नी के छलके आंसू
देहरादून। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी सौरभ वशिष्ठ भी कतर की जेल से रिहा होकर वतन लौटने बाद देररात अपने घर पहुंचे तो माहौल इमोशनल हो गया। उन्हें देखकर पत्नी को यकीन नहीं हुआ। वहीं बच्चे 18 महीनों बाद पिता को सामने देखकर चिल्लाने लगे। बुजुर्ग मां-बाप भी बेटे को आंखों के सामने देखकर खुशी के मारे रोने लगे, क्योंकि परिवार को पता नहीं था कि उनका बेटा कतर से लौट आया है। होमटाउन देहरादून में अपने घर में कदम रखते ही सौरभ वशिष्ठ भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि घर लौटने की खुशी और भावनाओं को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। पिछले 18 महीनों से हम आठों भारतीय नौसैनिक वतन लौटने की आस में जी रहे थे। यह दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं था। यह उनकी व्यक्तिगत भागीदारी और बातचीत का परिणाम है कि मैं आज दिन का उजाला देख पाया हूं। अपने मां-बाप, पत्नी और बच्चों को देख पाया हूं।
जासूसी का लगा था आरोप
भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों पर जासूसी के आरोप लगे थे। लेकिन, न तो कतर के अधिकारियों और न ही दिल्ली ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को सार्वजनिक किया है। 26 अक्तूबर को उन्हें कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
‘हम रक्षा बल के अनुभव की वजह से जिंदा बच पाए’
तिरुवनंतपुरम (केरल)। केरल के रागेश गोपाकुमार भारतीय नौसेना के उन आठ पूर्व कर्मियों में से एक हैं, जिन्हें हाल ही में कतर की जेल से रिहा किया गया। महीनों कैद में रहने के बाद गोपाकुमार ने अपने परिवार से मिलने पर खुशी जाहिर की। राहत महसूस कर रहे गोपाकुमार ने कहा, “ वह और उनके सहयोगी रक्षा प्रशिक्षण (डिफेंस ट्रेनिंग) के कारण ही बच पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके निजी दखल के कारण ही उनकी रिहाई संभव हो सकी। गोपाकुमार सोमवार को तिरुवनंतपुरम के उपनगरीय इलाके बलरामपुरम पहुंचे। उन्होंने अपने रोते हुए परिजनों को गले लगाया। उन्होंने बताया कि वह 2017 में भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हुए थे और बाद में ओमान डिफेंस ट्रेनिंग कंपनी के संचार प्रशिक्षक (कम्युनिकेशन ट्रेनर) के रूप में शामिल हुए थे।