‘स्वीप-इन-एफडी’ से सेविंग बैंक अकाउंट पर भी फिक्स डिपॉजिट जैसा रिटर्न
बैंक अकाउंट की अतिरिक्त रकम को एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता हैै
नई दिल्ली। स्वीप इन एफडी के जरिए आप अपने बचत पर बेहतर रिटर्न ले सकते हैं। दरअसल, सेविंग बैंक अकाउंट में बचत करना तो आसान हैं, मगर इसमें ब्याज बहुत ही कम मिलता है। बचत करने के कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में से एक ‘स्वीप-इन-एफडी’ का विकल्प है। स्वीप-इन-एफडी एक ऑटो-स्वीप सर्विस है। इसमें आपके बैंक अकाउंट (सेविंग या करंट) की अतिरिक्त रकम को एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस तरह से आपको अपने अकाउंट में जमा रकम पर पहले की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है। सेविंग अकाउंट से लिंक एफडी की अवधि आमतौर पर 1-5 वर्ष की होती है। इसके लिए सबसे पहले बैंक आपका स्वीप थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करता है।
इस खाते को चुनने में इन बातों को रखें ध्यान
आप यदि अपने सेविंग खाते में इस सर्विस को एक्टिव कराना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। स्वीप-इन-एफडी सेवा को एक्टिव करने के लिए, न्यूनतम अकाउंट बैलेंस थ्रेसहोल्ड हर बैंक की अलग-अलग हो सकती है। कुछ बैंको के लिए यह राशि 25,000 या 50,000 रुपए है। हालांकि कुछ बैंक ग्राहकों को अपनी जरूरत के मुताबिक थ्रेसहोल्ड तय करने की सुविधा देते हैं। यदि आप इस एफडी को तय मियाद से पहले तोड़ते हैं तो बैंक जुर्माना भी लगा सकती है।
स्वीप इन एफडी पर मिलता है इतना ब्याज
देश का सबसे बड़ा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जहां सेविंग बैंक अकाउंट पर तीन फीसदी का ब्याज देता है तो एफडी पर साढ़े छह फीसदी का। इसी तरह एचडीएफसी बैंक में बचत खाते पर तीन फीसदी का ब्याज मिलता है तो एफडी पर सात फीसदी का। आईसीआईसीआई बैंक में भी यह 4.5 फीसदी और 6.9 फीसदी है। बैंक ऑफ बड़ौदा की बात करें तो यह बैंक एफडी पर 6.25 फीसदी तक ब्याज देता है।
स्वीप थ्रेसहोल्ड लिमिट क्या है
आमतौर पर बैंक ऐसे खातों में स्वीप थ्रेसहोल्ड तय करता है। या फिर वह अकाउंट होल्डर को अपनी जरूरतों के अनुसार इसे कस्टोमाइज करने की अनुमति दे सकता है। स्वीप थ्रेसहोल्ड। आसान भाषा में कह सकते हैं कि स्वीप थ्रेसहोल्ड वह न्यूनतम सीमा है, जिससे अधिक रकम होने पर बैंक संबंधित खाते से जुड़े एफडी अकाउंट में अतिरिक्त रकम को ट्रांसफर कर देता है।
क्या मिलता है अतिरिक्त लाभ
स्वीप-इन-एफडी में मुख्य लाभ ब्याज का होता है। स्वीप-इन-एफडी सर्विस में आपको रेगुलर सेविंग बैंक अकाउंट की तुलना में कुछ खास लाभ मिलता है। जैसे आपको सेविंग बैंक अकाउंट में यदि तीन फीसदी का ब्याज मिल रहा है तो स्वीप-इन-एफडी पर आपको सात फीसदी का भी ब्याज मिल सकता है। अच्छी बात यह है कि सेविंग बैंक खाते में आपकी जो रकम पड़ी है, उस पर आपको सेविंग अकाउंट का ब्याज मिलता है और जो रकम एफडी में चली गई, उस पर एफडी अकाउंट का ब्याज मिलता है।