बस्तर की राजनीति में वकीलों ने ठोकी ताल, वक्ताओं से ज्यादा अधिवक्ताओं का जोर
कुछ बने जनप्रतिनिधि तो कुछ को सरकार ने किया उपकृत
जगदलपुर (न्यूज टर्मिनल )। बस्तर की राजनीति में वक्ताओं से ज्यादा अधिवक्ताओं का भाग्य चमका है। यहां वकीलों ने ताल ठोकी है। जगदलपुर को निगम बनकर बीस साल हुआ है। इन बीस सालों में दस वकीलों ने राजनैतिक मुकाम हासिल किया। शहर की पहली महापौर गीतेश मल्ल ने भाजपा का विश्वास जीता था। इसके बाद शहरी सरकार में पार्षद के तौर पर जीतकर आए अधिवक्ता शेषनारायण तिवारी ने निगम के अध्यक्ष की कमान करीब दाल संभाली। इस बीच भाजपा सरकार के पंद्रह सालों में वकील सुधीर पांडेय, शिवनारायण पांडेय, शकील अहमद को सरकार ने उपकृत किया। उन्हें राज्य स्तर पर विभिन्न बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई। इसी दौर में जब भाजपा की सरकार दूसरी बार आई तो पेशे से वकालत करने वाले भाजपा के किरण देव को शहर ने महापौर चुना। राजनीति में वकीलों की सफलता को देखते कांग्रेसी वकीलों ने भी अपना भाग्य अजमाया और सार्थक नतीजे सामने आए। पेशे से वकील राजीव शर्मा को पहले तो शहर जिला कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद से बतौर अध्यक्ष विधानसभा में कांग्रेस को जीत दिलाने में सफल हुए। अध्यक्षीय कार्यकाल के समाप्त होने से पहले ही उन्हें सरकार ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया। कांग्रेस की ओर से इस बीच जनता ने जिस प्रत्याशी को विधायक चुना वे पेशे से वकील तो नहीं हैं, लेकिन उन्हें वकालत की डिग्री हासिल कर रखी है। जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन भी वकील हैं। उन्होंने बताया कि डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कोर्ट जाकर वकालत नहीं किया। कांग्रेस की सरकार ने वकील सुजाता जायसवाल और आलोक दुबे को भी उपभोक्ता आयोग का अध्यक्ष व सदस्य बनाया। इस लिहाजे से बस्तर की राजनीति में बीस सालों में दस वकीलों ने अच्छा मुकाम तय किया है। हाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व महापौर किरण देव पर अपना दांव खेला है। किरण देव के सामने यदि रेखचंद जैन, राजीव शर्मा या फिर जतीन जायसवाल में से कोई होता है तो जनता को एक बार फिर दो वकीलों के बीच या फिर दो पूर्व महापौर के बीच अपना नेता चुनने का अवसर मिलेगा।