संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग मैदान में ध्वजारोहण के बाद प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की एकता, अखण्डता के साथ प्रदेश में संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। समाज के किसी भी वर्ग पर यदि कहीं से कोई भी संकट आता है तो हमारी सरकार उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी मिलेगी। किसानों, ग्रामीणों तथा आम जनता का सबसे बड़ा संरक्षक हमारा संविधान है, लेकिन अगर कोई नया कानून इस व्यवस्था में आड़े आता है तो ऐसी चुनौती से निपटना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे हमने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक के माध्यम से निभाया। मैं आज फिर एक बार कहना चाहता हूं कि संविधान ने जो संरक्षण आपको दिया है, उसके रास्ते में आने वाली बाधाओं के निदान के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे, चाहे इसके लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करना पड़े। हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में विशेषकर जरूरतमंद तबकों के हक और हित में बड़े कदम उठाए हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बहुतायत को देखते हुए, उन्हें राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की चुनौती स्वीकार की। किसानों, ग्रामीणों, भूमिहीनों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय दिलाने का वादा पूरा करने के लिए हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।
मुख्यमंत्री ने अमर शहीदों, संविधान निर्माताओं और देश के नेताओं को याद किया
मुख्यमंत्री ने महान राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं परलकोट विद्रोह के नायक अमर शहीद गैंदसिंह और उनके साथियों को नमन करता हूं, जिन्होंने सन् 1857 की पहली व्यापक क्रांति के पहले ही छत्तीसगढ़ में आजादी की अलख जगाई थी। उसकी ज्वाला को वीर गुण्डाधूर और शहीद वीरनारायण सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ाया और फिर पूरा छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गया। आजादी की लड़ाई को जुनून में बदलने वाले अनेक अमर शहीदों के साथ इसे निर्णायक मुकाम पर पहुंचाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, उस दौर के सभी नायकों और भारतमाता के गुमनाम सिपाहियों को मैं सादर नमन करता हूं। आजाद देश को अपना भाग्य विधाता बनाने का अवसर हमारे महान संविधान ने दिया, जिसे बनाने वाली संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रारूप समिति के सभापति बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। उनके साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों के विचारकों और कानूनविदों ने संविधान सभा तथा विभिन्न समितियों के सदस्य के रूप में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी, इनमें हमारे छत्तीसगढ़ के कानूनविद भी शामिल थे, आज मैं उन सबको नमन करता हूं। हमारे संविधान की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे हम भारत के लोगों ने स्वयं बनाया और स्वयं को आत्मार्पित किया है।
सद्भाव और समरसता के रास्ते पर अडिग रहा है छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यह अवसर है कि हम अपने संविधान निमार्ताओं की चिंता को साझा करें, आपस में विचार-विमर्श करें। संविधान के आधार पर देश चले, संविधान निमार्ताओं की भावनाओं का सम्मान हो और हमारे संसदीय लोकतंत्र की गौरवशाली परंपराओं का मान कायम रहे, इस दिशा में मजबूती से चलने का संकल्प लेना भी इस वक्त की एक बड़ी जरूरत है। मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमारा छत्तीसगढ़ हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निमार्ताओं की आशाओं के अनुरूप सद्भाव और समरसता के रास्ते पर अडिग रहा, जिसके लिए आप सब बधाई के पात्र हैं। भाइयों और बहनों, हमारी सबसे पहली प्राथमिकता, अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति बहुल अंचल तथा ग्रामीण जनता है, जिन्हें विकसित स्थानों एवं लोगों की बराबरी में लाने के लिए विशेष जतन की जरूरत है। जब हम संविधान के प्रावधानों पर चिंतन-मनन करते हैं, अवसरों की बराबरी की बात करते हैं, न्याय की बात करते हैं, व्यक्ति की गरिमा की बात करते हैं तो हमारी आंखों के सामने उसी तबके के चेहरे अधिक नजर आते हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित रह गए।
राज्य सरकार ने बीपीएल परिवारों के हक और हित में उठाए बड़े कदम
श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में विशेषकर इन तबकों के हक और हित में बड़े कदम उठाए हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बहुतायत को देखते हुए तथा उन्हें राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की चुनौती स्वीकार करते हुए हमने पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा कार्यक्रम शुरू किया, जो ऐसे अन्य जिलों में भी तेज विकास के लिए नवाचार का आधार बनेगा। इस अभियान से दंतेवाड़ा जिले में 10 माह में कुपोषण की दर 26 प्रतिशत कम हुई। 500 एकड़ भूमि लघु उद्योगों के लिए चिन्हांकित की गई। रोजगार के नए अवसर बने। स्थानीय लोगों को जोड़कर 4 कारखाने शुरू किए गए हैं, जो रेडीमेड परिधानों के नए ब्रांड डैनेक्स (दंतेवाड़ा नेक्स्ट) को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार में उतारेंगे। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापसी और जगरगुंडा में 13 साल बाद स्कूलों में रौनक वापसी हुई। मेहरार चो मान बेटियां के स्वाभिमान का अभियान बना तो आमचो बस्तर स्वावलम्बन का नया प्रतीक। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजनाएं, कुपोषण और मलेरिया मुक्ति का आगाज भी बस्तर से हुआ, जो आगे चलकर पूरे प्रदेश के लिए एक नजीर और प्रेरणा स्रोत बना।