पटाखा दुकानों से पटा बाजार, सड़क हुआ जाम, सुरक्षा के नहीं कोई इंतजाम
घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। .घरघोड़ा नगर का हृदय स्थल साथ ही सबसे ब्यस्त और भीड़ भाड़ वाला जगह जय स्तम्भ चौक के चारों ओर सजा हुआ है पटाखो की दूकान, जो नियम के विरुद्ध है, दुकान के सामने अनुविभागीय अधि. रा.व तहसीलदार के कार्यलय तो दूसरी ओर थाना फिर भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए! भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम 1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय सात में आतिशबाजी की स्थायी व अस्थायी दुकानों के लिए नियम हैं। होलसेल लाइसेंसधारक इनका पालन करने के लिए बाध्य हैं। भले ही उन्होंने स्थायी या अस्थायी लाइसेंस लिया है। नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थायी दुकान कांक्रीट से बनी हुई हो। आकार नौ वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होनी चाहिए। दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या चिंगारी पैदा करनेवाला सामान नहीं होना चाहिए।
जगह ऐसी हो, जहां अग्निशमन वाहन तत्काल पहुंच सके, तेज आवाज वाले पटाखे भी खुलेआम मिलते हैं बाजार में अधिकांश पटाखे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही हैं। इन पर रोक के लिए नियम तो है, परंतु प्रशासन की लापरवाही के कारण तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री पर रोक नहीं लग पाती है। ऐसे में मानक मात्रा से ज्यादा डेसिबल की आवाज वाले पटाखों की बिक्री भी खूब होती है। इससे सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा पीड़ित को प्रदूषण से अस्थमा का अटैक आ सकता है और छोटे बच्चों की सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वहीं, तेज पटाखों से बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिला को दूर रखना चाहिए। तेज आवाज कई बार हृदयगति को असामान्य कर देती है।
क्या कहती है एस डी एम मैडम
मैंने थाना प्रभारीको कह दिया है की सभी पटाखा दुकानें स्वामी विवेकानंद स्कुल के सामने मैदान में लगेगी।