इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में हुए 17 साल पुराने 20 करोड़ के घोटाले की फिर होगी जांच
नार्को टेस्ट पर हाईकोर्ट ने दिए आदेश
रायपुर । राजधानी के 17 साल पुराने तथा राजनैतिक तौर पर बेहद चर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में हुए 20 करोड़ के घोटाले में रायपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने बुधवार को पुलिस को नए सबूत के आधार पर जांच की अनुमति दी है। पुलिस ने इंदिरा बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर जांच के लिए अनुमति मांगी थी। इस पर अदालत में लंबी बहस चली। आखिरकार पुलिस को फिर से जांच करने की अनुमति मिल गई। चूंकि इंदिरा बैंक सदर बाजार में था और तब कोतवाली पुलिस ने ही केस दर्ज कर गिरफ्तारियां की थीं, इसलिए कोतवाली पुलिस ही फिर से जांच शुरू करेगी। इस मामले के आरोपी तत्कालीन मैनेजर सिन्हा के नार्को टेस्ट का वीडियो लीक होने के बाद छत्तीसगढ़ में राजनैतिक माहौल गरमा गया था, क्योंकि वीडियों में वह कुछ बड़े लोगों के नाम लेता सुनाई-दिखाई पड़ रहा था।
पुलिस के अनुसार अभी रायपुर की अदालत के फैसले की कॉपी नहीं मिली है। कोर्ट से आदेश मिलते ही इसमें फिर से जांच शुरू की जाएगी। राज्य के उप महाधिवक्ता संदीप दुबे इस मामले में विशेष लोक अभियोजक हैं। उन्होंने पुष्टि की कि न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेश कुमार बसंत की कोर्ट ने जांच की अनुमति दी गई है। पुलिस को जांच में कुछ नए तथ्य मिले थे, इसीलिए कोर्ट में फिर से जांच की अनुमति की अर्जी लगाई गई थी।
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में 2006 में आर्थिक अनियमितता पाई गई। उसके बाद बैंक बंद हो गया था। बैंक में पैसा जमा करने वाले पीड़ितों ने कोतवाली में जालसाजी का केस दर्ज कराया था। तब बैंक ने भी अपने कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था। बैंक में करीब 22 हजार से ज्यादा लोगों के खाते थे, जिनके 20 करोड़ रुपए के गोलमाल की बात आई थी। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक ने अपने आप को डिफाल्टर घोषित कर दिया था।