यह कोई खंडरह नहीं…. शहर को सुरक्षा देने वाले पुलिस जवानों का क्वार्टर है
नगर में बने करीब 21 पुलिस क्वार्टर की हालत बहुत दयनीय
घरघोड़ा(गौरीशंकर गुप्ता)। घरघोड़ा-थाना क्षेत्र का जिम्मा उठाने वाले पूरे नगर को सुरक्षा देने वाले जांबाज पुलिसकर्मी खुद असुरक्षा के घेरे में है बदहाल क्वार्टरों में रहना इनकी मजबूरी बन गई है इन मकानों को देखने से लगता है कि इनकी छत और दीवार कब भरभराकर नीचे गिर जाए। दीवारों में दरारें पड़ चुकी है इसके बावजूद पुलिस क्वार्टर की मरम्मत की ओर ध्यान ना देना किसी बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहा है। नगर में बने करीब 21 पुलिस क्वार्टर की हालत काफी दयनीय हो चुकी है इसमें रहना पुलिस जवानों के साथ साथ उनके परिवार के लिए भी जोखिम भरा है।मरम्मत के अभाव में यह मकान अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। ऐसे जर्जर क्वार्टरों को पुलिस कर्मचारियों को निवास के लिए आवंटन कर दिया जाता है पिछले कई वर्षों से मरम्मत की तरफ किसी ने झांका तक नहीं और यह कर्मचारी सिर पर कफन बांधने परिवार सहित रह रहे हैं गंदगी का ढेर बजबजाती नालियां की साफ-सफाई कभी-कभार होती है यहां के कर्मचारी आपस में चंदा करके साफ सफाई करवाते हैं बरसात के दिनों में वर्षा का पूरा पानी छतों से टपक कर कमरो में भर जाता है।
उसे बर्तनों से उठा कर फेंकना पड़ता है बरसात के दिनों में रात में चैन से सोना नसीब नहीं होता। रातों को जागकर काटना पड़ता है। कमरो में दीवारों के प्लास्टर उखाड़कर गई हैं ईट बाहर दिखाई दे रहा है कभी भी गिरने का अंदेशा बना रहता है लेकिन आज तक जिले में बड़े बड़े अधिकारी आए और चले गए किंतु इनमें से किसी ने इस तरफ जाना उचित नहीं समझा। मरम्मत के नाम पर कुछ वर्ष पहले केवल बाउंड्री वॉल उठाने की तरफ ध्यान दिया गया लेकिन मकानों की दीवारें छतो की मरम्मत की ओर ध्यान नहीं दिया गया। यहां पर जल की आपूर्ति भी सही ढंग से नहीं हो पाता पुलिस कॉलोनी के कई परिवार के लिए सीमित नल है दिन में दो बार खुलने से घंटे भर पहले ही पानी के लिए लाइन लगानी पड़ती है।
गर्मी के दिनों में यहां पानी की पूर्ति के लिए नगर पंचायत पानी का टैंकर भी व्यवस्था नहीं कर पाता। कुछ कर्मचारी इन समस्या से परेशान होकर अपने खर्चे पर अपने क्वार्टर का रखरखाव करते हैं।