पीडिया मुठभेड़ की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराई जाए : कांग्रेस
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, बीजापुर के पीडिया में विगत दिनों सुरक्षा बलों एवं नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबर सामने आई थी। 10 मई को हुई इस मुठभेड़ में 12 लोगो की मौत तथा इस घटना में 6 लोग घायल हुये। घटना के संबंध में पुलिस का दावा था कि मारे गये सभी लोग नक्सली थे। घटना के बाद ग्राम पीडिया और ईतवार के ग्रामीणों का कहना है कि घटना में मारे गये सभी लोग नक्सली नहीं थे। ग्रामीणों के इस दावे के बाद प्रदेश कांग्रेस ने घटना की वस्तुस्थिति जानने एक जांच दल का गठन किया था। जांच दल ने ग्रामीणों से बातचीत कर घटना के संबंध में जानकारी एकत्र की। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में संवाददाताओं से चर्चा में उन्होंने बताया कि 16 मई को पीडिया जांच दल के संयोजक संतराम नेताम, सदस्य विधायक इन्द्रशाह मंडावी, विक्रम मंडावी, जनकलाल ध्रुव, सावित्री मंडावी, रजनू नेताम, शंकर कुडियम एवं छविन्द्र कर्मा ने पीड़ित परिवार के परिजन सुक्की कुंजाम, ललिता, अवलम समली, बुधरू राम बारसे, पोदिया, बोदे से अलग-अलग पूछताछ कर बयान लिया। ग्रामीणों ने बताया कि पीडिया नक्सली मुठभेड़ में मल्लेपल्ली निवासी बुधू ओयाम, पालनार निवासी कल्लू पुनेम, ईतावार निवासी-लक्खे कुजाम, उण्डा छोटू, उरसा छोटू सुक्कू ताती, चैतू कुंजाम, सुनीता कुंजाम, जागो बरसी, पीडिया निवासी सन्नू अवलम, भीमा ओयाम, दुला तामो को पुलिस ने नक्सली बताकर मार दिया। ईत्तावार निवासी कुंजाम गुल्ली, लेखा देवी, कुंजाम जिला, कुंजाम बदरू एवं पीडिया निवासी पोयाम नन्दू को घायल होना बताया। उन्होंने यह भी बताया गया है कि मृतक मल्लेपल्ली निवासी बुधू ओयाम एवं पालनार निवासी कल्लू पूनेम नक्सली गतिविधियों में संगम सदस्य के रूप में कार्य करते थे। शेष मृतक व घायल किसी भी प्रकार की नक्सली गतिविधियों में शामिल नहीं थे। पुलिस ने निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर इनाम एवं प्रमोशन लेने घटना को अंजाम दिया है, घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
उच्चस्तरीय जांच की मांग
उन्होंने कहा, ग्रामीणों की शिकायतें बेहद ही गंभीर और संवेदनशील हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुये यह आवश्यक है कि मामले की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच की जानी चाहिये। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में इसकी जांच कराई जाये।
भाजपा झीरम का सच सामने नहीं आने देना चाहती : बैज
झीरम में अभी तक हुई किसी भी जांच में घटना के राजनैतिक षड़यंत्र की दिशा में कोई जांच नहीं हुई। जब कांग्रेस सरकार ने बढ़ाया तथा जांच के दायरे में घटना के षड़यंत्र को जोड़ा, तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट से स्टे लेकर आ गये। भाजपा झीरम की जांच रोकना क्यों चाहती है? आखिर इतनी परदेदारी क्यों? किसको बचाने के लिये, किसके इशारे पर जांच की दिशा भटकायी जा रही है? भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भय है कि झीरम का सच आने से उनके षड़यंत्र बेनकाब हो जायेंगे।