घरघोड़ा तहसील से कलेक्ट्रेट तक फैला है जमीन दलालों का नेटवर्क

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घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। घरघोड़ा इलाके में इन दिनों जमीन बेचने-खरीदने का कारोबार अपने पूरे शबाब पर है। नजूल जमीन भी भू माफियाओं के चंगुल में है। इसमें जमीन दलाल खूब फलफूल रहे है। बताया जा रहा कि इस इलाके में दलालों का नेटवर्क कलेक्टोरेट तक फैला है, जिसके चलते जमीन खरीदी और बिक्री में जमकर पैसा कमा रहे। जमीन के भाव सुबह-शाम बढ़ रहे है। जमीन के जैसे भाव रायगढ़ में है अकेले रायपुर को छोड़कर पूरे छत्तीसगढ़ में जमीन के वैसे भाव और किसी शहर या जिले में नहीं है। जिले में जमीन को लेकर मारामारी का आलम यह है कि एक ही जमीन को कई- कई बार बेचा जा रहा है या फिर जमीन किसी की है और बेच कोई और रहा है। रायगढ़ जिले में जमीन के सौदों में चल रहे करोड़ों-अरबों के खेल को देखते हुए छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों के धनकुबेर भी रायगढ़ जिले में जमीन के सौदों पर अपना रुपया लगा रहे है।
घरघोड़ा मुख्यालय में प्रशासन के आंखों के सामने प्रापर्टी डीलिंग के नाम से एक ऐसा धंधा फल-फूल रहा है। इस धंधे से जुड़े स्थानीय और बाहरी लोगों के बकायदा इस धंधे में शहर के कई क्षेत्रों में दुकान खुल गए है। इतना ही नहीं इनके यहां हर रोज अखबारों में भी विज्ञापन छपते रहते हैं।
पुलिस की नजरों से दूर शहर के आस- पास चल रहे इस व्यवसाय में शहर की सारी नजूल जमीन इन भू-माफियाओं के चंगुल में है, वही गरीबों के पट्टे वाली जमीनों की खरीदी-विक्री में यहां के इससे जुड़े तमाम विभागों में रोजाना लाखों-करोड़ों के व्यारे-न्यारे हो रहे हैं। इन विभागों के आस-पास लोग गिद्ध की तरह मंडराते रहते हैं। जमीन की रायगढ़ में रोजाना कई रजिस्ट्रियां होती है। इनकी आड़ में रोजाना जमीन खरीदी-विक्री की आड़ में शासकीय नियमों, कानूनों को ताक में रख करके शासकीय दर पर तो लिखा पढ़ी कर दी जाती है, लेकिन पर्दे के पीछे लाखों-करोड़ों की दर से सौदा जमीन मालिक से खरीददार करता है। महंगे दर पर जमीन का सौदा पक्का हो जाता है, लेकिन रजिस्ट्री के वक्त सस्ते दर पर लिखा पढ़ी करवाई जाती है जिसकी वजह से शासकीय खजाने में रोजाना लाखों रुपए की चपत लगती है। रजिस्ट्री आफिस में एक रजिस्ट्री के नाम पर अधिकारी हजारों रुपए रजिस्ट्री कराने चालों से ले रहा है। विश्वस्त सूत्र से जो हमें पुख्ता जानकारी मिली है उसके मुताबिक रजिस्ट्री अधिकारी रोजाना हजारों रुपए अवैध आम जनता और जमीन दलालों से वसूल रहा है और महीने में लाखों रुपए की काली कमाई करने में लगा हुआ है। इसके अलावा जो रजिस्ट्री फीस लगती है उसको काटी गई रसीद कर दोगुना तौगुना रजिस्ट्री अधिकारी को सरपास्ती में रजिस्ट्री कराने वालों से रोजाना बसूला जा रहा है। कलेक्टर को चल रहे इस गोरखधंधे पर नकेल कसने के लिए आवश्यक पहल करनी चाहिए या समझा जाये प्रशासन की ऐन नाक के नीचे चल रहे इस गोरखधंधे में राजस्व विभाग को इसके आड़ में काली कमाई करने की छूट दे रखी है। जिस तरह सूद (ब्याज) के व्यवसायी का लायसेंस बनता है क्या जमीन के व्यवसाय से जुड़े लोगों के भी लायसेंस बनेंगे और यदि यह धंधा गैर कानूनी हुआ तो क्या कार्रवाई करने की हिमाकत कर सकेंगे। जिले में जमीन के सौदों को अंजाम तक पहुंचाने में बिचौलियों याने दलाल अहम भूमिका निभा रहे हैं। पटवारी और दिगर राजस्व अधिकारियों से सांठ-गांठ करके जमीन के दलाल, जमीन बेचने वालों की टोह लेकर उनके पास पहुंचते हैं, अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में जमीन के मालिकों को फांसने के बाद बतौर बयाना कुछ रुपए देकर उनसे तयशुदा रेट में जमीन बेचने का एग्रीमेंट करा लेते हैं और फिर ज्यादा कीमत देने वाले ग्राहकों की तलाश में जुट जाते हैं और जमीन के मालिक से तयशुदा भाव की तुलना में दुगुने- चौगुने भाव से जमीन विकवा कर मोटा रकम खुद डकार जाते हैं। रायगढ़ जिले में जमीन के दलालों की तादाद हर दूसरे दिन बढ़ती जा रही है। कुछ दलाल तो जमीन बेचने खरीदने का बाकायदा अखबारों में विज्ञापन छपवाते हैं। जमीन के चल रहे गोरख धंधे में सबसे ज्यादा हेरफेर जमीन बेचने की रजिस्ट्री तो सरकारी गाईड-लाईन के कीमत के मुताबिक होती है, लेकिन असल लेन-देन उससे दुगुना-चौगुना होता है।

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