बरौद उपक्षेत्र में माता रानी के विसर्जन पर श्रद्धालुओं की भर आईं आंखें

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नवरात्रि में भक्तों ने पूरे मनोभाव से की मां जगत जननी की पूजा
दसमीं की शाम क्षेत्र की खुशहाली की कामना के साथ कुरकुट नदी में प्रतिमाओं का किया गया विसर्जन
घरघोड़ा।
नवरात्रि के नौ दिनों तक एसईसीएल बरौद उपक्षेत्र के अधिकारियों , कोयला कर्मचारियों व उनके परिजनों ने माता रानी की पूरे मनोयोग के साथ पूजा-अर्चना
आराधना और साधना की। पूरा उपक्षेत्र भक्ति में सराबोर दिखा। दसमी की संध्या स्थानीय पंडाल से जब मातारानी के विदाई का समय आया तो नौ दिनों तक श्रद्धालुओं के चेहरों में दिखी रौनकता की जगह मायूसी के भाव दृष्टिगोचर होते दिखे। माता रानी की विदाई पर महिलाएं , पुरुष व बच्चों ने एक दूसरे को रंग लगाकर माता के जयकारे के साथ विसर्जन के लिए प्रतिमाओं को ट्रॉली में लेकर डीजे की धुन में नाचते गाते समीपस्थ कुरकुट नदी पहुंचे। वहां पूजा-आरती कर प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया !
टेरम में माता रानी की झलक पाने दूर-दूर से पहुंचते रहे श्रद्धालु
ग्राम पंचायत टेरम में 28 वें वर्ष भी मां भगवती आदिशक्ति मां दुर्गा की घरघोड़ा के पंडित जीतू महाराज ने पूजा-पाठ के साथ सभी मांगलिक अनुष्ठान संपन्न कराए। वे टेरम में अनेक वर्षों से पूजा अर्चना करते आ रहे हैं , इस वर्ष भी ग्राम वासियों के सौजन्य से उन्होंने विधिवत्त पूजा अर्चना की। नवमीं के दिन वनकन्या पूजन और वृहद भंडारे का आयोजन समिति के द्वारा किया गया , रात्रि में क्षेत्रीय नाटक मंडलियों द्वारा नाटकों का मंचन भी किया गया। प्रथम पुरस्कार के रूप में लमीखार को 35 हजार 500 रुपए , द्वितीय पुरस्कार बांधापाली को 25 हजार 500 रुपए एवं तृतीय पुरस्कार आमापाली को 15 हजार 500 रुपये नगद दिया गया। समिति की ओर से प्रत्येक वर्ष इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम कीर्तन ,भजन , जसगीत एवं मातासेवा आदि रखे जाते हैं , आयोजन रात्रिकालीन होता है , जिसमें आसपास के दर्जनों ग्रामों के हजारों की संख्या में लोग नाटक को पूरी रात तन्मयता से देखते हैं , इस अवसर पर मेला जैसा दृश्य रहता है। टेरम में आपसी भाई चारा की समृद्ध परंपरा आज भी कायम है , जो ढाई दशक से भी अधिक पुरानी है। वहां भी दसमी की संध्या बड़े धूमधाम से मातारानी का विसर्जन किया गया !

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