February 1, 2025

कुम्हारी की प्राचीन महामाया मंदिर अब ट्रस्ट द्वारा होगी संचालित, उच्च न्यायालय ने सुनाया फैसला

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विगत 17 वर्षों से न्यायालय में चल रहा था मामला

कुम्हारी (शैलेन्द्र कुमार साहू)। कुम्हारी का प्राचीन महामाया का मंदिर अब से ट्रस्ट द्वारा संचालित होगा विगत 19 दिसम्बर को उच्च न्यायालय ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है । बता दें कि कुम्हारी का सबसे प्राचीन महामाया मंदिर करीब 15 एकड़ का है जिसका संचालन विगत 50 से भी अधिक वर्षों से स्थानीय देवांगन परिवार द्वारा किया जा रहा था। देवांगन परिवार के मुखिया और मंदिर के संचालक तेजराम देवांगन के मुताबिक वर्षों पहले उनकी मां को स्वप्न में स्वयं महामाया माता ने आकर उक्त स्थान पर स्वयं के होने की बात कही थी और तब उनके पिता ने वहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर पूजा प्रारम्भ की धीरे धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती गई और आज वहां एक भव्य मंदिर स्थित है। धीरे-धीरे पूरा देवांगन परिवार महामाया माता की सेवा करने लगा। वहीं समय के साथ व्यवस्थाओं एवं अन्य चीजों के लेकर ग्रामीणों में कुछ असंतुष्टि दिखाई देने लगी और 2006 को गाँव के ही कुछ लोगों ने इस बात का विरोध किया कि इस मंदिर का संचालन एक परिवार के बजाय ट्रस्ट के माध्यम से होना चाहिए इसी के मद्देनजर कुछ ग्रामीणों ने माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी (पंजी.) के नाम से एक ट्रस्ट का निर्माण किया और उन्हें इसी ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर को संचालित करने की बात कही लेकिन देवांगन परिवार इसके लिए तैयार नहीं हुआ फलतः यह मामला न्यायालय में चला गया। जिस समय इस ट्रस्ट का निर्माण किया गया उस समय ट्रस्ट में लगभग 46 सदस्य हुआ करते थे। ट्रस्ट के सदस्यों ने यह आरोप लगाया कि मंदिर से होने वाले समस्त आय व्यय का व्योरा मंदिर संचालक को सार्वजनिक करना चाहिए जैसे नवरात्री में ज्योत जलाने के लिए भक्तों से ली गई राशि के खर्च का व्योरा साथ ही माता पर चढ़ावे का व्योरा इत्यादि जो कि संचालकों को मान्य नही था अतः मंदिर संचालन एवं ट्रस्ट के मध्य यह विवाद न्यायालय में पहुंच गया । वहीं मंदिर संचालकों की माने तो उनका कहना था कि वर्षों से मंदिर की स्थापना और रखरखाव से लेकर नवरात्री के आयोजनों तक उनका पूरा परिवार माता की सेवा करता है ऐसे में यह उनका अपना अधिकार है। चूंकि देवांगन परिवार की लगभग चार पीढियां मंदिर को अपनी सेवाएं दे रही हैं। वहीं मंदिर ट्रस्ट का आरोप है कि उन्हें मंदिर के संचालन में कोई एतराज नही है चूंकि मंदिर व्यक्तिगत न होकर सार्वजनिक होता है और जिसकी व्यवस्थाओं में अबतक आम दान दाताओं और शासन से लेकर स्थानीय नगरपालिका का भरपूर सहयोग रहा है ऐसे में मंदिर से प्राप्त आय का उपयोग मंदिर के अलावा समाज हित मे भी होना चाहिए इसपर किसी एक परिवार का अधिकार नही हो सकता। इन्ही मुद्दों को लेकर दोनों पक्षों ने लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और अंततः उच्च न्यायालय ने 19 दिसम्बर को अपना फैसला ट्रस्ट के पक्ष में सुनाया। गौरतलब है कि इस कानूनी लड़ाई के बीच ट्रस्ट के कई सदस्य दिवंगत भी हो गए हैं वर्तमान में ट्रस्ट में सिर्फ 26 सदस्य ही रह गए हैं। ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अशोक दीवान ने कहा कि विगत 17 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद माननीय उच्च न्यायालय का ट्रस्ट के पक्ष में फैसला स्वागतेय है। पूर्व मंदिर संचालकों ने इस मंदिर को पैतृक बताया जबकि मंदिर हमेशा सार्वजनिक ही होता है ना कि पैतृक, हमे किसी से कोई नाराजगी नही है भविष्य में हम ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर के आय का पचास प्रतिशत समाज के गरीबों को देना चाहेंगे। गांव के वरिष्ठ नागरिक और मंदिर के ट्रस्टी महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह जमीन और मंदिर गांव की धरोहर है ना कि किसी व्यक्ति विशेष की। ट्रस्टी और पूर्व पालिकाध्यक्ष स्वप्निल उपाध्याय ने कहा कि यह सार्वजनिक पूजा पाठ और आस्था का मंदिर है । जिला न्यायालय से केस जीतने के बाद भी ट्रस्ट ने पूर्व संचालकों को मंदिर की चाबी सौंप दी थी ताकि वे इसे सुचारू रूप से चलाएं लेकिन उन्होंने ही उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और परिणाम सामने है। ट्रस्टी रामाधार शर्मा ने इस फैसले को आशातीत सफलता बताते हुए भविष्य में इसे पर्यटन क्षेत्र बनाने एवं शौचालय सहित अन्य आवश्यक निर्माण की बात कही। अश्वनी देशलहरे ने पूर्व संचालकों का आभार माना कि उन्होंने मंदिर की चाबियां सौंपकर अपनी जिम्मेदारी निभाई है आने वाले समय मे यहां सफाई और स्वच्छता सहित दर्शनार्थी व भक्तों के लिए बेहतर ठहरने की व्यवस्था होनी चाहिए।

उच्च न्यायालय के फैसले के बाद विगत 27 दिसम्बर को देवांगन परिवार के मुखिया तेजराम देवांगन द्वारा न्यायालय भिलाई-3 तहसीलदार पवन ठाकुर के समक्ष ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण वर्मा को मंदिर की चाबियां एवं अन्य दस्तावेज सौंप दिया गया। इस मौके पर ट्रस्ट के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण भी उपस्थित थे जिनमें मुख्य रूप से अशोक दीवान, महेंद्र अग्रवाल, नारायण वर्मा , योगेश साहू, स्वप्निल उपाध्याय, मनोज वर्मा, रामाधार शर्मा, रोहित सिन्हा, दसरथ दास, शत्रुघन, नेतराम यादव, विजय कुमार वर्मा, रामकुमार सोनी, अवधेश शुक्ला, राजा सोनकर, काशीराम सोनकर, श्रवण यादव, रोमनाथ यादव, हरिराम सोनकर, दिलीप धीवर, राधेलाल यादव, जीवन लाल, रंजीत साहू, कोदुराम साहू, लक्ष्मीनारायण साहू, डोमन साहू, अंचल गुप्ता (अधिवक्ता), नारायण सोनकर, बलराम, फतेह, पंकज वर्मा, अश्वनी देशलहरे, पंडित राजेश शुक्ला, मोहित पटेल, रामसिंह पॉल, मुकुंद सिन्हा, पुसउ राम सिन्हा, निखिल विश्वकर्मा, गजानंद निर्मलकर, गिरीश सोनी, मोनीश, डिकेश पटेल, रामेश्वर सोनकर, धर्मेंद्र पटेल, अशोक साहू, सर्वेश वर्मा, लक्ष्मीनारायण एवं पुनीतराम आदि उपस्थित थे। विगत 1 जनवरी को नववर्ष के अवसर पर वर्तमान माँ महामाया ट्रस्ट मंदिर कमेटी द्वारा मंदिर में प्रथम बार भव्य आरती एवं पूजा पाठ का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों सहित आसपास के भक्तजन शामिल हुए।

“माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार 27 दिसम्बर को सौहाद्रपूर्ण वातावरण में मंदिर के पूर्व संचालक तेजराम देवांगन द्वारा वर्तमान माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष नारायण वर्मा को मंदिर की चाबियां एवं आवश्यक दस्तावेज सौंप दिया है। सामग्री के लिए पृथक रूप से पंचनामा तैयार किया जाएगा। चूंकि पूर्व में मंदिर संचालन को उच्च न्यायालय ने वैध नहीं माना है ऐसे में मंदिर संबंधी समस्त दस्तावेज, कोई सामग्री हो , गहना हो या फिर नगद राशि हो उन्हें माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष के सुपुर्द में किया जाएगा।

– पवन ठाकुर, न्यायालय भिलाई-3 तहसीलदार

माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए हमने मंदिर की चाबियां और आवश्यक दस्तावेज ट्रस्ट को सौंप दिया है। वर्षो से यह मंदिर हमारे द्वारा संचालित था विगत सौ वर्ष पहले हमारी माता जी को माता का मंदिर बनाने के लिए स्वप्न आया था और उस समय हमारे पिता ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया था इस तरह यह हमारा निजी मंदिर है और इसमें कोई संशय वाली बात नही है। लोगों का सहयोग अवश्य मिला लेकिन मंदिर का निर्माण तो हमने ही किया है। फिलहाल हमने विगत 24 दिसम्बर को उच्चतम न्यायालय में अपील कर केस फाइल कर दिया है।

– तेजराम देवांगन, पूर्व संचालक, माँ महामाया मंदिर कुम्हारी

विगत 17 वर्षों के संघर्ष में हमने बहुत कुछ खोया है इस बीच हमारे 6 साथी दिवंगत भी हो गए। यह एक प्राचीन मंदिर है ट्रस्ट बनाने का निर्णय इसलिए लेना पड़ा कि यहां की व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों में असंतोष था। यहां जो भी विकास हुआ है वह शासन एवं नगरपालिका के सहयोग से ही हुआ है ना कि किसी व्यक्ति विशेष द्वारा, भविष्य में हमारी योजना होगी कि ट्रस्ट एवं ग्रामीणों के सहयोग से यहां धर्मशाला, गौशाला, पाठशाला और अस्पताल बने। हम माता के तमाम आयोजनों में पूर्व संचालकों का भी सहयोग लेंगे।

नारायण वर्मा, अध्यक्ष, माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी कुम्हारी

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