mahashivratri : 300 साल बाद महाशिवरात्रि पर विशेष सिद्ध व सर्वार्थसिद्ध योग

Spread the love

रायपुर। इस साल कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व ग्रहों की शुभ युति तथा शिवयोग, सिद्ध संग सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा। पंचांग की गणना व धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर इस प्रकार के योग संयोग व ग्रह स्थिति 300 साल में एक या दो बार ही बनती है। इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी गई है। महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर-कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी। वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा। इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है।

उपासना निशिता काल में, इसलिए पूजन आज

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार रात में 9:47 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 9 मार्च शाम 6:17 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना निशिता काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत इस साल 8 मार्च शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।

शुभ योग और नक्षत्र

शिव योग : यह योग 8 मार्च को सुबह 4:46 मिनट से शुरू होगा और 9 मार्च को देर रात्रि 12:46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। शिव से जुड़ा यह योग शिवरात्रि के पर्व पर बन रहा है जो महादेव की कृपा पाने कि लिए बेहद शुभ है। मान्यता है कि इस योग में शिव आराधना करने से महादेव जल्दी प्रार्थना स्वीकार कर लेते हैं।
सिद्ध योग : यह योग 8 मार्च को मध्यरात्रि के बाद 12:46 मिनट से शुरू होगा और 9 मार्च को शाम 8:32 मिनट तक रहेगा। यह योग सिद्धि प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। इसी के साथ यह योग निशिता काल मुहूर्त में पड़ रहा है। इस दौरान शिव आराधना करने से आपकी पूजा सिद्ध मानी जाएगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग : यह योग 8 मार्च को सुबह 6:38 बजे से शुरू होगा और 10:41 मिनट तक रहेगा। यह योग कार्यों को सिद्ध करने और उसमें सफलता प्रदान करने वाला होता है।
श्रवण नक्षत्र : महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र के होने यह दिन और भी शुभफलदायी बन गया है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी शनि देव माने जाते हैं, जो शिव के परम भक्त हैं। महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र होने से यह व्रत और भी फलदायी हो गया है।

पूजन के लिए ऐसा है मुहूर्त

निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 8 मार्च की मध्यरात्रि बाद 9 मार्च को 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक। अर्थात 48 मिनट का समय निशीथ काल की पूजा के लिए मिलेगा।

चार प्रहर पूजा का शुभ मुहूर्त

  • प्रथम प्रहर की पूजा – 8 मार्च शाम 6 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 33 मिनट तक
  • दूसरे प्रहर की पूजा – 8 मार्च सुबह 9 बजकर 33 मिनट से 9 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक
  • तीसरे प्रहर की पूजा – 9 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक
  • चौथे प्रहर की पूजा – 9 मार्च सुबह 3 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 44 मिनट तक
  • पारण मुहूर्त – 9 मार्च की सुबह 6 बजकर 38 मिनट से दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *