पत्रकार गुलाल वर्मा की छत्तीसगढ़ी पुस्तक ‘का कहिबे’ का विमोचन

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वैभव प्रकाशन और ‘अगास दिया’ परिवार के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन

मुख्य अतिथि के रुप में शािमल हुए साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा

रायपुर (न्यूज टर्मिनल) । वैभव प्रकाशन और ‘अगास दिया’ परिवार के संयुक्त तत्वावधान में रविवार 16 जून को पत्रकार गुलाल वर्मा की छत्तीसगढ़ी पुस्तक ‘का कहिबे’ का विमोचन हुआ। इस अवसर पर माध्यम भाषा छत्तीसगढ़ी विषय पर संगोष्ठी भी हुई। इसमें मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय साहित्यकार डॉ.परदेशीराम वर्मा ने कहा, छत्तीसगढ़ी के साथ निरंतर अन्याय हो रहा है और यह आज तक माध्यम भाषा नहीं बन पाई है। अध्यक्षता वरिष्ठ छत्तीसगढ़ी सेवी नंदकिशोर शुक्ल ने की। गुलाल वर्मा का सम्मान करते हुए उनकी पुस्तक के विमोचन के बाद अतिथियों ने कहा कि यह कृति छत्तीसगढ़ी गद्य को समृद्ध करती है। लेखक ने अपने समय के सभी सरोकारों पर चिंतन के साथ कार्य किया है। संयोजन करते हुए डॉ.सुधीर शर्मा ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद भी छत्तीसगढ़ी को प्राथमिक स्तर पर माध्यम भाषा नहीं बनाया गया है। छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के अध्यक्ष ऋतुराज साहू ने कहा, छत्तीसगढ़ी राज्य की अस्मिता है इसके लिए समाज को आगे आना होगा।

मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार
अरूण कुमार निगम ने कहा, पुस्तक कालजयी होती हैं और अनुसंधान के लिए बरसों तक काम आती है। गुलाल वर्मा ने सामयिक विषयों को चुनकर चिंतनपरक निबंध लिखा है। छत्तीसगढ़ी के अध्ययन में यह सहायक है। डॉ.परदेशीराम वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग अपनी भाषा, संस्कृति और अस्मिता के प्रति उदासीन हैं, इसीलिए छत्तीसगढ़ी को सम्मान नहीं मिल पा रहा है। छत्तीसगढ़ी को माध्यम भाषा बनाने के लिए संघर्षरत नंदकिशोर शुक्ल ने कहा, अपनी मातृभाषा पर जब तक हमें भीतर से गर्व नहीं होगा, तब तक छत्तीसगढ़ी को सम्मान नहीं मिलेगा। मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना बालक का मौलिक अधिकार है। संगोष्ठी में बंशीलाल कुर्रे, डॉ सोनाली चक्रवर्ती, भारती नेल्सन, खुशबू वर्मा, दिनेश चौहान, रत्ना पांडेय, शकुंतला तरार, स्वामी चित्रानंद, अरविंद मिश्रा, छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के सदस्य और साहित्यकार उपस्थित थे।

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