एफडी पर लोन लेने से पहले जानें अहम बातें, आएंगी काम

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मुंबई। बाजार में कर्ज लेने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। बशर्ते इसके लिए आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए और आपकी मंथली इनकम उधार देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान को यह भरोसा दिलाने में सक्षम हो कि आप वक्त पर ब्याज के साथ कर्ज ली गई रकम चुका सकते हैं। ऐसे में आपकी फाइनेंशियल हिस्ट्री काफी मायने रखती है। बेहतर फाइनेंशियल हिस्ट्री कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान को बिना झिझक उधार देने का कांफीडेंस देता है।

ऐसे वक्त में कई बार आपका इनवेस्टमेंट आपकी मदद के लिए कर सकता है खासकर तब जब आपको लगता है कि कर्ज लेने के लिए आपके पास कोई कोलेटेरल नहीं है। इमरजेंसी किसी भी शख्त को वित्तीय तौर पर अपंग कर सकती है और इसके आने पर अक्सर लोग कनफ्यूज होते हैं कि कहां से उधार लें। मौजूदा समय में इमरजेंसी आने पर फंड जुटाना बहुत आसान हो गया है, फिलहाल ऐसी स्थिती से निपटने के लिए कई रिटेल क्रेडिट प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध हैं। इनमें से एक प्रोडक्ट फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर लोन भी है आइए इसके बारे में जानते हैं।
एफडी पर लोन क्या है
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन को एफडी पर लोन के नाम से जानते हैं। यह एक सिक्योर लोन है, जिसमें एफडी होल्डर अपने फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन का लाभ उठा सकते हैं। एफडी पर लोन ज्यादातर बैंकों या वित्तीय संस्थानों में आसानी से उपलब्ध है। मौजूदा वक्त में क्रेडिट प्राप्त करने का एक लोकप्रिय रूप बन गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सालाना आधार पर एफडी पर लोन 16.47 फीसदी बढ़ गया है। साल 2022 के 97.5 करोड़ रुपये की तुलना में एफडी पर लोन बढ़कर 2023 में 113.9 करोड़ रुपये हो गया। एफडी पर लोन लेने से पहले इसकी खासियतों के बारे में समझना बेहद जरूरी है। ऐसा करके इस विकल्प को और बेहतर बनाया जा सकता है। साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है एफडी पर लोन विकल्प आपकी जरूरत के अनुकूल है या नहीं। इस विकल्प के माध्यम से कर्ज लेने से पहले इन बातों का जान लें।

  1. ब्याज दर
    ब्याज दर उधार लेने की आपकी क्षमता को प्रभावित करती है। एफडी पर लोन बाकी विकल्पों के मुकाबले आमतौर पर जेब पर कम बोझ डालते हैं। इस विकल्प में निवेश रकम पर मिलने वाले ब्याज की तुलना में एफडी पर लोन की ब्याज दर से 0.75% से 2% अधिक होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एफडी कोलेटेरल के रूप में कार्य करता है, जो कर्ज देने वाले के रिस्क को कम करता है, जिससे उन्हें कम ब्याज दर की पेशकश करने की अनुमति मिलती है। कुछ मामलों में यह दर पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर लोन पर दी जाने वाली दर से कम हो सकती है, जो आमतौर पर 10% और उससे अधिक से शुरू होने वाले ब्याज का शुल्क लेती है। इसके अलावा एफडी पर लोन विकल्प में ब्याज दर फिक्स होती है, ऐसे में कर्ज लेने वाले शख्स ब्याज दर के उतार-चढ़ाव से बचा रहता है। ऐसा आमतौर पर कुछ सिक्योर लोन कैटेगरी में ही देखने को मिलता है।
  2. लोन राशि
    इस प्रकार के लोन विकल्प के तहत आम तौर पर उपलब्ध लोन अमाउंट जमा राशि के 85 फीसदी हिस्से और उससे अधिक से शुरू होती है। हालांकि, कुछ बैंक या वित्तीय संस्थान के पास एफडी पर लोन की पेशकश करने के लिए न्यूनतम जमा आवश्यकता हो सकती है।
  3. प्रोसेस और कागजी कार्यवाही
    फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह एफडी पर लोन विकल्प के लिए तुरंत प्रोसेस होता है और लोन अप्रूवल भी कम समय में पूरा हो जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एफडी कोलेटेरल के रूप में कार्य करता है। ऐसे में कर्ज लेने वाले शख्स के फाइनेंशियल हिस्ट्री के व्यापक सत्यापन की आवश्यकता को समाप्त करता है। नतीजतन, लोन को न्यूनतम दस्तावेज के साथ प्रोसेस किया जाता है।
  4. कोलेटेरल और गारंटर
    एफडी पर लोन ऋण के मामले में कर्ज लेने वाला शख्स एफडी का स्वामित्व बरकरार रखता है जो कोलेटेरल के तौर पर काम करता है। इस तरह के लोन एफडी के साथ सुरक्षित होते हैं, ऐसे में कर्ज लेने वाले शख्स को अतिरिक्त गारंटर की आवश्यकता नहीं होती है, इस प्रकार लोन प्रक्रिया सरल और तेज हो जाती है। एफडी पूर्व-निर्धारित दर पर ऋण की अवधि के दौरान ब्याज अर्जित करना जारी रखता है, जिसका इस्तेमाल कर्ज लेने वाला शख्स लोन पर बकाया ब्याज का भुगतान करने के लिए कर सकता है।
  5. रिपेमेंट टेन्योर और प्रीपेमेंट
    एफडी पर लोन के लिए रिपेमेंट की शर्तें आमतौर पर फेक्सिबिल होती हैं और इसे लोन लेने वाले शख्स किस्तों (ईएमआई) में चुका सकता है। हालांकि, एफडी के मैच्योर होने से पहले रिपेमेंट किया जाना चाहिए। नतीजतन, लोन रिपेमेंट टेन्योर फिक्स होती है, जिससे कर्ज लेने वाले शख्स को अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग करने में सहूलियत मिलती है। इसके अलावा, कई लेंडर इस प्रकार के लोन पर प्रीपेमेंट चार्ज नहीं लगा सकते हैं, जो आमतौर पर अन्य प्रकार के लोन पर लगाए जाते हैं।
    क्या है एलिजिबिलिटी
    इस प्रकार के लोन के लिए अप्लाई करने पर कर्ज लेने वाले शख्य का बैंक या वित्तीय संस्थान में एफडी अकाउंट रहना जरूरी होता है। निवासी भारतीय नागरिक, पारिवारिक ट्रस्ट, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), क्लब, सोसाइटी, एसोसिएशन, एकमात्र स्वामित्व, समूह कंपनियां और साझेदारी फर्म इस लोन के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।

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