बीमा कंपनी का क्लेम देने से इनकार, उपभोक्ता आयोग ने ब्याज सहित दिलाई क्षतिपूर्ति
जेसीबी को नक्सलियों ने लगाई थी आग
काँकेर। बीमा कंपनियों की बहाने- बाजियों तथा चक्कर खिलाने की नीति से परेशान काँकेर ज़िले वासियों को एक बार फिर उपभोक्ता आयोग ने बड़ी राहत दी है। इस बार उदाहरण काँकेर जिले के दूरस्थ दुर्गम क्षेत्र कोयली बेड़ा का है ,जहां के निवासी विनोद साहू के जेसीबी वाहन को नक्सलियों ने पूर्णतः जला डाला था लेकिन बीमा कम्पनी बेमतलब इसे ड्राइवर की गलती एवं एक्सीडेंट मानते हुए बीमा की रकम देने से इनकार कर रही थी। इस पर उपभोक्ता आयोग ने न केवल बीमा राशि बल्कि उसे पर ब्याज क्षतिपूर्ति तथा मुक़दमा -व्यय सब कुछ पीड़ित व्यक्ति को प्रदान करने का वाजिब फैसला दिया है। मामला इस प्रकार है कि विनोद साहू ने अपनी जेसीबी का बीमा 20- 3- 2022 से 19- 3- 2023 की अवधि के लिए कर दिया था और उसकी प्रीमियम राशि भी जमा कर दी गई थी, 18 फरवरी 2023 को सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए जेसीबी को पुलिस थाना परतापुर के तहत ग्राम भिंडी के पास दिन में ही खड़ी अवस्था में 20-25 अज्ञात नक्सलियों द्वारा आग लगा दी गई, जिससे जेसीबी पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गई, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 19 फरवरी को ही ईमेल के माध्यम से कर दी गई थी। बीमा कंपनी ने घटना स्थल पर सर्वेयर भेजा था जिसने जांच पड़ताल करने के बाद यही पाया कि खड़ी गाड़ी को नक्सलियों ने आग लगाकर हानि पहुंचाई है । नुकसानी का पंचनामा तैयार कर सर्वे रिपोर्ट बीमा कंपनी को दे दी गई थी। फिर भी बीमा कम्पनी ने नक्सली घटना को एक्सीडेंट तथा बिना लाइसेंस वाले ड्राइवर की लापरवाही मानते हुए क्लेम पास करने से इनकार कर दिया। कम्पनी ने नक्सली घटना पर ध्यान नहीं देते हुए चालक के पास लाइसेंस नहीं होने वाली बात पर ही जोर दिया और क्लेम की राशि देने से साफ़ इनकार कर दिया। इस पर विनोद साहू ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग काँकेर जिला में फरियाद की। आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सुजाता जसवाल तथा सदस्य श्री डाकेश्वर सोनी ने प्रकरण की विवेचना करते हुए स्पष्ट निर्णय दिया कि ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं होने का नक्सली घटना से कोई संबंध नहीं है और कंपनी को क्लेम की राशि (18 लाख 80 हजार रुपए) देनी होगी। यही नहीं मामला दायर होने की तिथि से आज तक का 7% ब्याज भी भरना होगा। एक महीने के अंदर नहीं देने पर ब्याज की दर 9% कर दी जाएगी। बीमा कम्पनी उपभोक्ता को मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति ₹ 10,000/ भी प्रदान करेगी तथा ₹ 3,000/ मुक़दमे का हरजा खर्चा भी देना होगा। इस फ़ैसले से न केवल पीड़ित को इंसाफ़ मिला है बल्कि क्षेत्र की आम जनता में भी प्रसन्नता है।