सवालों के घेरे में भारतीय महिला हॉकी टीम

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रांची। टोक्यो ओलंपिक में पदक नहीं मिला लेकिन चौथे स्थान पर रहकर भारतीय महिला हॉकी टीम पूरे देश की नूरे नजर बन गई और सभी को उम्मीद थी कि टोक्यो का अधूरा सपना पेरिस में पूरा होगा।
्लेकिन पेरिस का सफर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया और अब इस जख्म को भरने में बरसों लगेंगे। बार बार समान गलतियों को दोहराना, आपसी तालमेल का अभाव, प्रदर्शन में अनिरंतरता जैसे कई सवाल हैं जिनका जवाब भारतीय महिला हॉकी टीम को देना होगा। पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहने के बाद अब भविष्य को लेकर अनिश्चितता भी खिलाड़ियों की आंखों में साफ नजर आ रही है।

एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर में तीसरे स्थान के मैच में जापान से 0-1 से हारी भारतीय टीम के पिछले कुछ अर्से के प्रदर्शन का विश्लेषण करें तो लगता है कि यह तो होना ही था। हार के बाद कप्तान सविता पूनिया और बाकी खिलाड़ियों की आंखों में आंसू और चेहरे पर मायूसी थी। शायद अनिश्चितता भी कि अब आगे क्या होगा।
भविष्य के बारे में पूछने पर कोच यानेके शॉपमैन ने कहा, ‘मुझे नहीं पता।’ हॉकी इंडिया ने तुरंत किसी बदलाव की संभावना से इनकार किया है और अब जबकि ओलंपिक खेलने का मौका हाथ से निकल ही चुका है, बदलाव करके भी क्या हासिल हो जाएगा। अब सोच समझकर ही आगे बढ़ना होगा।

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