कब तक छली जाती रहेगी नप घरघोडा की जनता
सुविधाओं का टोटा, जनप्रतिनिधि बेफिक्र ;सड़क, पानी, नाली हर मुद्दे पर फेल तंत्र
घरघोडा(गौरी शंकर गुप्ता)। नगर के विकास और नगर के लोगो को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने चुनी हुई नगर सरकार केवल और केवल वायदों और इरादों तक सिमट कर रह जाती है और व्यवस्था की बदहाली पर लगा प्रश्न चिन्ह ज्यों का त्यों बना लोकतान्त्रिक व्यवस्था को मुह चिढाता रहता है ।चारों तरफ व्याप्त गंदगी, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटे, आमदनी से अधिक खर्च तथा सुविधाओं को तरसते शहरवासी। यह है घरघोड़ा नगरपंचायत की बरसो से जारी कहानी ।लोकतंत्र की ताकत और शहर के विकास की बातें उस समय बेमानी लगती हैं। जब शहरवासी सालों से अपने घर के सामने की सड़क बनने का इंतजार कर रहे हों, गलियों में कचरे का ढेर हो, नयी नालियाँ पहचान देखकर बनायी जाती रही हों, पुरानी नालियाँ जाम होकर बजबजा रही हों, खास लोगो के घरों के आस पास स्ट्रीट लाइट जगमगा रही हो और आम रास्तो पर अँधेरा पसरा हो । घरघोड़ा में कई नगर सरकार आईं-गईं,पार्षद भी बदलते रहे लेकिन नहीं बदली तो बदहाल व्यवस्था। जिम्मेदारों के पास कई बहाने हैं लेकिन रहवासी जरूर हमेशा से खासे परेशान हैं। शहर में सड़कों के हाल बेहाल हैं कई जगह सड़कें ही नहीं हैं,जहां हैं तो वहां सड़कें उखड़ी पड़ी हैं। रहवासी अपने स्तर पर शिकायत करने से लेकर अावेदन भी दे चुके हैं,लेकिन खराब सड़कों की समस्याओं से उन्हें निजात नहीं मिल पाई है।नालियों,स्ट्रीट लाइट का हाल किसी से छिपा नही है ।
विकास राशि-पार्षद निधि की बंदरबांट
घरघोड़ा नगर पंचायत के इतिहास से पन्नो को पलटते आये तो शासन द्वारा विकास कार्यो के लिए राशि जारी की जाती है साथ ही प्रत्येक वार्ड पार्षद को भी पार्षद निधि के नाम पर लाखों की राशि दी जाती राही है जिससे की वार्ड में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार किया जा सके पर घरघोड़ा में पार्षद निधि से स्व सुविधा विस्तार ही ज्यादा दृष्टिगोचर होता है । नगर के 15 वार्डो में न तो ढंग की सड़कें है न ही नालियाँ न स्ट्रीट लाइट की बेहतर व्यवस्था ऐसे में प्रश्न उठना लाजमी हो जाता है कि शासन द्वारा दी गयी निधि का उपयोग आखिर कहाँ किया जा रहा है । इसका उत्तर दिखता है चुने हुए जनप्रतिनिधियो की बढ़ती आर्थिक हैसियत में । व्यवस्था सुधार की शपथ लेकर चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने आर्थिक उन्नति की ओर ज्यादा झुक जाते है और राशि कीबंदरबांट में अपना अपना हिस्सा लेकर सभी ख़ामोशी से जो चल रहा चलने दो की तर्ज पर काम करने में मशगूल हो जाते है इस तरह लोकहित की राजनीती का स्वार्थ की राजनीति गला घोंट देती है और निरीह जनता अपनी बदहाली पर आंसू बहाती रहती है ।
जनता की चुप्पी ,खुली लूट की छूट
विकास की राशि की अफरा तफरी की बात सर्व विदित है पर इसके खिलाफ आवाज न उठना इस भ्रष्ट व्यवस्था के पोषण का प्रमुख कारण है । जनता कभी न तो अपने पार्षदों से न नगर सरकार के प्रमुखों से विकास निधि का हिसाब मांगती है न उनके बढ़ते आर्थिक संसाधनो पर प्रश्न पूछती है । जनता की इस चुप्पी का चुने हुए जनप्रतिनिधि व पदस्थ अधिकारी कर्मचारी खुलकर लाभ उठाते है और इसे लूट की खुली छूट समझ कर कागजी विकास कर राशि के बंदरबांट के हिसाब में ज्यादा समय देते हैं न की शहर की समस्याओं के निवारण में ।
भस्टाचार के मुद्दे पर मौन जनप्रतिनिधि नेता
घरघोडा नगर पंचायत का जब गठन हुआ तब यहां की जनता ने सोचा उनका सपना साकार होगा घरघोडा एक स्वच्छ और आर्दश नगर के रूप में विकशित होगा लेकिन भस्टाचार रूपी नदी में हर कोई डुबकी लगाने को तैयार रहा लंबी लम्बी जांचे भी हुई पूरे प्रदेश में नप घरघोड़ा सुर्खियों में रहा है ।अपने आप को नगर हित का खैरख्वाह बताने वाले चाहे ओ किसी भी राजनीतिक दल से सम्बन्ध रखते हो कभी आवाज नही उठायी जिसका परिणाम भी घरघोडा नगर को भुगतना पड़ा ।
स्वच्छ राजनीती से बनेगा स्वच्छ शहर
नगर पंचायत में पार्टी गत खिंचतान,आपसी वैमनस्य और सर्वहिताय की सोच का अभाव शहर के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा हैं । यदि कोई जनप्रतिनिधि लीक से हटकर जनता के लिए कुछ करना भी चाहे तो दलीय राजनीती और भ्रष्ट तंत्र के मोहपाश में उसे येन केन प्रकारेण उलझा ही दिया जाता है और जनता को मिलने वाला वास्तविक लाभ जनता तक कभी पूर्ण स्वरूप में नही पहुंच पाता । आवश्यकता है स्वच्छ राजनितिक सोच वाले व्यक्तियों की जो स्वहित में स्वयं के विकास के लिए पद की लालसा न रखते हुए जनसेवा के लिए पदों पर आसीन हो और जनता में भी जागरूकता और प्रश्न करने का साहस भी नितांत आवश्यक है तब कही जाकर पटरी से उतर चुकी शहर की व्यवस्था को सही दिशा मिल सकती है वरन बदलाव की बयार भी विकास की तरह कागजो में ही बहती रहेगी धरातल पर नही ।