कुरुद में शिव महापुराण कथा के पहले ही दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा – छत्तीसगढ़ की धरती पर महादेव का चुम्बक लगा, जिसके कारण मैं यहां बार-बार कथा करने खींचा चला आता हूं
कुरूद। कुरुद के वृद्धि विहार भरदा चौक में गुरुवार से पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा शुरू हो गई। कार्यक्रम के संरक्षक विधायक अजय चंद्राकर ने कथावाचक का स्वागत कर वहां मौजूद भक्तों को संबोधित किया। पहले ही दिन भारी उमस व गर्मी के बावजूद लाखों शिवभक्त कथा सुनने उमड़ पड़े। पूरा पंडाल शिव के जयकाराें से शिवमय हो गया।
पहले दिन कथा की शुरुआत श्री मिश्रा ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कहते हुए की। उन्होंने कहा कि यहां की धरती में शिवतत्व रूपी चुम्बक लगा हुआ है जिसके कारण मैं यहां बार-बार कथा करने खींचा चला आता हूं। कुरुद वालों का पुण्य प्रबल है जिसके कारण अभी कई जगह तैयारी हो जाने के बाद कथाएं कैंसिल हो गई पर यहां के लोगों को कथा सुनने का सौभाग्य मिल रहा है। इससे पहले विधायक श्री चंद्राकर ने कहा कि कुरूद विधानसभा क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा हुआ है। पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में सिर्फ दो ही त्रिवेणी संगम है जिसमें से एक कुलेश्वर महादेव मंदिर से गुजरने वाले महानदी, सोंढूर और पैरी का संगम है। उन्होंने कुलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि कुलेश्वर महादेव शिवलिंग का निर्माण पूजा-अर्चना के लिए माता सीता ने बालू से किया था, जहां आज भी बालू से निर्मित शिवलिंग नजर आता है।
सिन्दूरा के सिंदूर में होता है 64 योगिनियों का बल
प्रदीप मिश्रा ने शिव तत्व की महिमा बताते हुए कहा कि जब कोई नारी शिवलिंग में जलाभिषेक करती है तो वह अपने मायके व ससुराल की 71-71 पीढ़ियों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। आगे कहा कि जिस प्रकार पंखे या कूलर के समीप बैठने से हमें हवा का अहसास होने लगता है, ठीक उसी प्रकार शिव मंदिर या कथा में बैठने से हमारा दुःख कम होने लगता है। उन्होंने सिंगरौली के सिंदूर की महिमा का बखान करते हुए कहा कि जो महिला सिंदूरा का सिंदूर लगाती है, उसे कोई साधारण पुरुष आंख उठाकर भी नही देख पाता। क्योंकि विवाह के समय के सिंदूरा वाले सिंदूर में 64 योगिनियों का बल होता है। इसलिए विवाहित महिलाओं को सिंदूर लगाना चाहिए।
पसीने से तरबतर होकर भी शिवभक्तों ने सुनी कथा
उमसभरी गर्मी के बीच पसीने में तरबतर होकर भक्त कथा सुनते रहे। श्रद्धालुओं में पुरुषों से तीन गुना महिलाएं हैं। छग के अलावा अन्य प्रदेश से भी शिवभक्त पहुंचे हैं और कथा पंडाल में ही भजन- सुमिरन कर कथा श्रवण कर रहे हैं। जिसे जहां जगह मिली, वह कथा सुनने के लिए वहीं बैठ गया। पंडाल में पंखे और कूलर की व्यवस्था भीड़ के हिसाब से कम पाई गई जिसे अगले दिन से व्यवस्था करने विधायक ने आयोजकों को निर्देशित किया।