घरघोड़ा के मेले में खुलेआम सज रही खुड़खुड़िया जुए की महफ़िल

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किसके संरक्षण से खेला जा रहा लाखों के दांव ?

घरघोड़ा (गौरीशंकर गुप्ता)। घरघोड़ा क्षेत्र के आस-पास के लगभग सभी ग्रामों में रथोत्सव आते ही खुड़खुड़िया जुए की महफ़िल सजनी शुरू हो गयी है । खुड़खुड़िया एक ऐसा जुआ है जिसमें लाखों के दांव एक रात एक मेले में लगते हैं। ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि महीने भर घरघोड़ा क्षेत्र के आस पास हर दिन लगने वाले मेलों में कितने लाखों का वारा न्यारा किया जाता होगा । हर साल रथ मेले में खुड़खुड़िया जुआ का आयोजन अब इतनी आम बात हो चली है कि पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे मेलो में बकायदा अलग से खुड़खुड़िया जुए का बाजार बैठा दिया जाता है जहां शाम से देर रात तक खुलेआम जुआ चलाकर पुलिस प्रशासन को ठेंगा दिखाया जाता है ।

पुलिस प्रशासन का नहीं दिखता खुड़खुड़िया वालों में भय

खुड़खुड़िया खिलाने वालो में पुलिस प्रशासन का तनिक भी भय नजर नही आता ये बड़े अचरज की बात है कि खुलेआम पट्टी बिछा कर,टोकरी में गोटियाँ उलट पलट कर जुआ खिलाने वाले इतने बेखौफ कैसे हो सकते हैं ? जाहिर सी बात है कि पुलिस प्रशासन के साथ अंदरूनी सेटिंग के बाद ही उनकी नाक के नीचे ऐसे जुए की महफ़िल बिना डर भय के सजती है ।

खुड़खुड़िया जुआ का मनोवैज्ञानिक पक्ष 

खुड़खुड़िया जुए में लाखों हारने के बाद भी लोग क्यों इस जुए को खेलने बेकरार दिखते हैं इस पर जब हमने विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने बताया कि खुड़खुड़िया का कांसेप्ट ही ऐसा है कि देखकर हर आदमी को लगता है कि वो इसमे जीत सकता है । इस जुए को बनाया ही ऐसा गया है कि खिलाड़ी कभी न जीत पाए । इक्का दुक्का खिलाड़ी ही इसमे जीतेंगे क्योंकि इस खेल को खेलना शुरू करते ही मानसिकता ऐसी बनती है कि इसमें बड़ी रकम जीती जा सकती है फिर रकम डबल करने के चक्कर में लोग अपना मूलधन भी गंवा बैठते है।

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