अनुविभागीय अधिकारी द्वारा प्रस्तुत पुर्नविलोकन याचिका विधि विरूद्ध : उच्च न्यायालय

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सक्ती (मोहन अग्रवाल)। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी सक्ती द्वारा जगदीश बंसल के तोड़े गये कार्यालय के संबंध में राजस्व मंडल बिलासपुर के समक्ष प्रस्तुत पुर्नविलोकन याचिका विधि विरुद्ध पाते हुये उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिश द्वारानिरस्त कर दिया गया है।पूरा मामला यह है कि सक्ती बाराद्वार रोड पर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पास जगदीश बंसल कीनिजी भूमि पर उनका आलिशान कार्यालय निर्मित था । उक्त कार्यालय के शासकीय भूमि पर होने के संबंध मेंमनोज अग्रवाल अधिवक्ता द्वारा शिकायत करने पर शिकायत की विधि विरुद्ध जांच एवं विधि विरुद्ध आदेशफलस्वरूप बंसल के उक्त आलिशान कार्यालय को दो दो न्यायालयों के स्थगन के बावजूद तात्कालिकअनुविभागीय अधिकारी बर्मन के नेतृत्व में तहसीलदार द्वारा तोड़ दिया गया था। उक्त विधि विरुद्ध तोड़ फोड़की कार्यवाही के संबंध में बंसल द्वारा राजस्व मंडल बिलासपुर के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई थी जिसकीविधिवत् जांच होने पर यह पाया गया कि बंसल का उक्त कार्यालय बंसल की निजी भूमि पर था जिसे पूरीतरह विधि विरूद्ध तरीके से तोड़ा गया है, इसलिए बंसल क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का भी अधिकारी है। इस आदेशके विरूद्ध काफी लंबे अर्से लगभग डेढ वर्ष पश्चात् तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी रैना जमिल द्वारा राजस्वमंडल के समक्ष पुर्नविलोकन आवेदन प्रस्तुत किया गया और राजस्व मंडल द्वारा सुनवाई हेतु कानूनी पहलूओंको अनदेखा करते हुये स्वीकार भी कर लिया गया। इस आदेश के विरुद्ध बंसल द्वारा माननीय उच्च न्यायालयबिलासपुर के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई, जिस पर सुनवाई करते हुये मा० उच्च न्यायालय के मुख्यन्यायाधीश ने पाया कि उक्त पुर्नविलोकन आवेदन समय सीमा के अन्दर प्रस्तुत नहीं किया गया है और देर सेप्रस्तुत किये जाने का उचित कारण भी प्रदर्शित नहीं किया गया है साथ ही पुर्नविलोकन हेतु धारा 51 में जोप्रावधान है, उन प्रावधानों को अनदेखा करते हुये पुर्नविलोकन आवेदन प्रस्तुत किया गया है जो विधि विरूद्ध हैइसलिए मा० राजस्व मंडल द्वारा अनुविभागीय अधिकारी द्वारा प्रस्तुत पुर्नविलोकन आवेदन को सुनवाई हेतुस्वीकृत आदेश दिनांक 22/06/2022 को निरस्त किया जाता है। आगे बंसल ने बताया कि बर्मन एवंतहसीलदार द्वारा की गई सारी अवैधानिक कार्यवाहियाँ एक एक कर के निरस्त हो रही है। पूर्व में भी कईअवैधानिक कार्यवाहियाँ मा० उच्च न्यायालय एवं मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त की जा चुकी है। बंसल नेआगे बताया कि बर्मन द्वारा उन्हें विधि विरुद्ध परेशान करने के संबंध में उनके द्वारा बर्मन के विरूद्ध कईदीवानी एवं फौजदारी प्रकरण न्यायालयों में दायर कर रखे है जो अभी लंबित है और जिसमे भी न्याय मिलनेकी पूरी उम्मीद है।

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