हसदेव नदी जंगल बचाओ आंदोलन के लिए पद यात्रा आज से
पर्यावरण संरक्षण के प्रति किसानों को जागृत करने की महत्वपूर्ण पहल
बिलासपुर। हसदेव नदी जंगल बचाओ आंदोलन के साथियों के द्वारा 24 नवम्बर से एक पदयात्रा नेहरू चौक बिलासपुर से हरिहरपुर (हसदेव) तक प्रातः 9.00 बजे से प्रारंभ की जा रही है। इस पदयात्रा का उद्देश्य यह है कि हसदेव नदी पर बांगो बांध से नहर के माध्यम से सिंचित क्षेत्र के किसान भाइयों को जागृत कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति चेतना जागृत करने की दिशा में सचेत करना है। हमारा यह आंदोलन हसदेव क्षेत्र में वहाँ के मूलनिवासियों द्वारा विगत 12 वर्षों से और बिलासपुर में नागरिकों द्वारा विगत 3 वर्षों से चल रहा है।
हसदेव नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के समृद्ध साल वन क्षेत्र सरगुजा है, और यह साल वन मध्य भारत का फेफड़ा हैं, जो कोयले के उत्खनन के कारण नष्ट हो रहा है, जो यहाँ के निवासियों के भविष्य का प्रश्न है। इन समृद्ध जंगलों की वजह से हमारे क्षेत्र में बारिश होती है जिससे बांगो डेम भरता है।
बांगो डेम से 120 मेगावाट बिजली बनती है। बांगों डेम से चार लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है। यदि हसदेव के जंगल कटेंगे तो बांगो डेम मिट्टी से भर जाएगा। वनक्षेत्र के भीतर रहने वाले वन्य जीव विशेषकर हाथी-मानव द्वंद बढ़ जाएगा। इसके अतिरिक्त भविष्य में अनेको प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष हानि जंगल कटने से होना तय है।
अतः बिलासपुर व छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के प्रबुद्ध पर्यावरण प्रेमी नागरिकों के द्वारा हसदेव नदी-जंगल की रक्षा का संदेश
देते हुए एक पदयात्रा “बिलासपुर से हसदेव” तक (225 किमी.) की जा रही है, जिसमें यात्रा मार्ग के जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामिणों के द्वारा पूर्ण सहयोग एवं यात्रा में शामिल होने का आश्वासन दिया गया है।
यात्रा के मार्ग की जानकारी निम्नानुसार है।
24 नवंबर 2024 प्रातः ९.०० बजे नेहरू चौक से मोपका जयरामनगर।
25 नवंबर – जयरामनगर से अकलतरा।
26 नवंबर – अकलतरा से
जांजगीर।
27 नवंबर – जांजगीर से चांपा।
28 नवंबर – चांपा से पहरिया ।
29 नवंबर – पहरिया से पंतोरा।
30 नवंबर – पंतोरा से कोरबा।
1 दिसम्बर – कोरबा से जमनीपाली।
2 दिसंबर – जमनीपाली से कटघोरा।
3 दिसंबर – कटघोरा से गुरसियां।
4 दिसंबर – गुरसियां से चोटिया।
5 दिसंबर – चोटिया से केंदई।
6 दिसंबर – केंदई से मदनपुर।
7 दिसंबर – मदनपुर से हरिहरपुर।
8 दिसंबर – हरिहरपुर परसा में वृक्षारोपण एवं विशाल किसान – आदिवासी सम्मेलन के साथ पदयात्रा का समापन।
प्रशासन को यह आश्वासन दिया गया है कि यह पदयात्रा पूर्णतः अनुशासित, विवाद रहित व शांतिपूर्ण रहेगी। हमारे द्वारा यात्रा मार्ग में यातायात व्यवस्था को बिल्कुल भी बाधित नहीं किया जाएगा। यह यात्रा पूर्णतः गैर राजनैतिक है, जिसमे सभी की सहभागिता अपेक्षित है। हम सभी से आव्हान करते हैं कि इस पुनीत पदयात्रा में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इसे जनयात्रा का स्वरूप प्रदान करें।