घरघोड़ा तहसील परिसर में झुंड बनाकर मंडरा रहे जमीन के दलाल
दलाल व सरकारी कर्मचारीयों का संयुक्त टीम, कार्यालय बना भ्रष्टाचार का पनाहगार
घरघोड़ा(गौरी शंकर गुप्ता)। जिला कलेक्टर के टुलमुल कार्यशैली के कारण तहसील कार्यालय घरघोड़ा आये दिन सुर्खय़िो में रहता है, प्रशासनिक कमजोरी का आलम इस कदर आमजन को प्रभावित कर रहा है? इसके लिए जमीनी हकीकत को समझना पड़ेगा। घरघोड़ा राजस्व अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से लैलूंगा तमनार तहसील का भूमि संबंधित रजिस्ट्री रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता है जिसके कारण क्षेत्र के सारे जमीन दलाल घरघोड़ा तहसील परिसर में गिद्ध की तरह अपने शिकार खोजते रहते है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण रायगढ़ जिले का घरघोड़ा तहसील इन दिनों भू-माफियाओं के शिकंजे में जकड़ा अपनी मुक्ति के लिये छटपटा रहा है । संपूर्ण वीरानगी के इस माहौल में दूर-दूर तक ऐसा सूत्रधार नजर नहीं आ रहा है जो इसकी मुक्ति के लिये पहल कर सके । जिला मुख्यालय के नजदीक पनप रहे इन भू-माफिया तत्वों में कुछ सरकारी कर्मचारियों के अलावा क्षेत्रीय दलाल भी शामिल हैं, जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका तहसील कार्यालय परिसर के भीतर मंडराने वाले बिना लाईसेंस प्राप्त तथा कथित अर्जीनवीस निभाते हैं जिनके द्वारा ग्रामीण अंचलों से आये भोल-भाले ग्रामीण एवं स्थानीय लोगों को भी अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर उनसे उनकी जमीन जायदाद और आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करते हैं और फिर प्रारंभ होता है इन्हें अपने जाल में फंसा कर येन-केन प्रकारेण अपनी जमीन बेचने के लिये तैयार करने व इन ग्रामीणों के लिए ग्राहक तलाशने का दौर । अब इन दलालों के पास इतना राशि तो उपलब्ध नहीं रहती है कि जिससे स्वयं उस जमीन को खरीद सके, इसके लिए अब वे सरकारी कर्मचारियों का सहायता लेते हैं जो जमीनों के खरीद बिक्री में व्यक्तिगत रूचि रखने के साथ आर्थिक रूप से इतने मजबूत हो कि वह इन जमीनों को खरीदने के लिये लाखों रूपये फंसा सकता हो । अब ऐसे दलाल कर्मचारियों का तहसील मुख्यालय में कोई कमी नहीं है और यही कारण है कि भूमि की दलाली के वजह से कई कर्मचारी आज करोड़ों रूपये मूल्य के जमीनों के मालिक बन बैठे हैं, जब इन भू-माफियाओं से दलालों के इस गोरखधंधे की हकीकत जानने के लिए संपर्क किया गया तो उनके द्वारा ऐसे कई चौकाने वाले तथ्य उजागर किया गये जिसे सुनकर विश्वास नहीं होता कि ये सारा गोरखधंधा प्रशासनिक अधिकारियों की छत्रछाया में हो रहा है, इसी कारण से आज तक किसी भी भू-माफिया के उपर कोई कार्यवाही नहीं किया गया है जिससे इनके जमीन दलाली का धंधा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है । जहां अब तक इनके निशाने पर वे गरीब भू-स्वामी होते थे जिनकी जमीन मुख्य मार्गों और नगर के प्रमुख बस्तियों में होती थी जिनमें से अधिकांश को वे भू-माफिया तत्व अपने निकटतम रिश्तेदारों के नाम पर खरीद चुके हैं या फिर अपना उचित कमीशन पाकर दूसरों को बिक्री करवा दिये हैं अब बाकी बचे जगहों पर भी ये तत्व अपनी गिद्ध दृष्टि जमाये बैठे हैं। अब ये जमीन चाहे किसी की भी हो इन्हें कोई मतलब नहीं है अगर है भी तो इतना ही कि उस जमीन को भी ये अपने रिश्तेदारों के नाम पर करवा लें या फिर इसे सस्ते में लेकर दूसरों को तीन गुने दाम में बेंचकर अपनी धनपिपासा को शांत कर सके इन्हीं भूमियों की दलाली से पटवारी से लेकर उससे उपर के लोग देखते ही देखते लाखों में खेलने लगे हैं मगर इस और कोई कार्यवाही नहीं होने के संबंध में जो कारण बताया जा रहा है वह और भी चौकाने वाला है इस संबंध में बताया जा रहा है कि इन भू-माफियाओं के कुछ संपत्ति का मालिक यहां पदस्थ होने वाले आला अधिकारी होते हैं जो अपनी काली कमाई से स्वयं जमीन न लेकर अपने अधीनस्थ इन कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदते हैं क्योंकि जब कभी शिकायत हो तो वे कर्मचारी ही फंसे और वे सुरक्षित बच निकले ।