किसानो ने कहा राष्ट्रीय राजमार्ग वाले कर रहे हैं आत्महत्या के लिए मजबूर

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कांकेर। भारतमाला परियोजना के अंतर्गत कांकेर जिला के बासनवाही गांवक्षेत्र में 6 लेन रोड निर्माण हो रहा है जहां पर निर्माण में लगे रेत मोरूम एवं पत्थर से चूरा पानी के कटाव से बहकर खेतों में आ गए पानी की बाहों परिवर्तन होने से खेतों के मद एवं रोपाई के समय बीज व पौधा बहा कर ले गई जिससे किसान बहुत परेशान थे किसानों ने इसकी सूचना प्रशासन को लगातार पत्र देकर दिया पर राष्ट्रीय राजमार्ग वाले किसानो की मदद से पीछे हट गए प्रशासन ने 3 माह पूर्ण क्षेत्र के पटवारी से मूल्यांकन करवाया फिर मौन हो गए किसान जितने लागत से हो पाया खेतों के रेती मिट्टी हटाकर पुनः बीज बोए मेड़ो का निर्माण किए पर नदी से आने वाली रेती और निर्माण में लगे डस्ट बहकर खेतों में आते ही रहे परंतु अब जब मुआवजे के लिए किसान दबाव डालने लगे तो भारतमाला परियोजना के अधिकारी कर्मचारी किसी भी क्षति से इंकार कर किसानों को डराने धमकाने लगे किसान हित में संघर्ष करने वाले संदीप द्विवेदी ने बताया की राष्ट्रीय राजमार्ग वाले नदी के ऊपर ही मार्ग बना रहे हैं उन्हें पूर्व में ही चेतावनी दिया गया था की जल निकासी का प्रबंध करें उन्होंने कोई भी एक्शन नहीं लिया जिसके फल स्वरुप क्षेत्र के किसानों को बहुत घाटा हुआ है पूर्व में भी कम मुआवजा दर से हमारे जमीन अधिग्रहण कर लिए गए अब जो बचा है कंपनियां बर्बाद कर रही हैं गांव के मार्ग भी गड्डो में तब्दील होकर तबाह हो चुके हैं क्षेत्र में इनके गुंडागर्दी और नशा से पूरा माहौल खराब हो चुका है बचा किसानी वह भी तबाही की ओर है जिससे यह सब मिलकर प्रतीत हो रहा है कि किसानों को आत्महत्या के लिए प्रेरित कर रहे हैं । फसल का क्षतिपूर्ति दिया भी जाता है तो खेतों में पड़े मोरूम रेती और डस्ट कौन फेंकेगा और कहाँ क्योंकि कोई अपने खेत में नहीं डालने देगा साथ ही कुछ भाग में किसान अपने खेतों में इसको अपने ट्रैक्टर और मजदूर लगाकर एकत्र किए हैं ताकि भोजन के लिए धान उगाया जा सके पर उस वक्त सर्वे से कोई दिक्कत किसी भी भारतमाला परियोजना के अधिकारी कर्मचारी को नहीं था सभी मौन होकर किसानो की दुर्गती देखते थे अब जब क्षतिपूर्ति देने की बारी आई जो थोड़ा बहुत बचा हुआ है फसल वहाँ घुसकर सर्वे करने का बात कह धमकी दे रहे हैं जिस पर जिला प्रशासन भी मौन दिखाई दे किसान विरोध में सम्मिलित दिखाई दे रहा है जबकि सूचना मिलते हैं तीन माह सर्वे को क्यों रद्द किया जा रहा है और अगर समस्या था तो इस वक्त पुनः क्यों जांच नहीं किया गया यह दोनों की संलिपिता को दिखाता है । संदीप द्विवेदी ने कहा किसानों को मात्र फसल का मुआवजा मिलेगा अभी रवि फसल पुनः नुकसान होगा और खेतों में घुल मिल जाने वाले रेत पत्थर के चुरा कैसे सरकार और कंपनी मिलकर निकलती है क्या प्रबंध है उनके पास यह नहीं बता रही है इससे किसान पूरी तरह तबाह हो चुके हैं इस पर ध्यान न देकर किसानों को आर्थिक के साथ मानसिक प्रताड़ित करना गलत है अगर कोई किसान इस परिस्थिति में आत्महत्या कर लेता है तो जिला प्रशासन एवं भारतमाला परियोजना की जिम्मेदारी होगी किसान कृष्णा साहु ने कहा मेरा पूरा खेत धूल से पट गया है फसल के मुआवजे पर इतना परेशान कर रही है तो उस पत्थर चूरा धूल को निकालने के लिए लाखों रुपए खर्च होगा वह कहाँ से लाऊँगा बासनवाही के सरपंच ने कहा किसानों के साथ मै स्वयं पूरे खेतों का भ्रमण सर्वे के समय पटवारी के साथ किया था किसानों को लाखों रुपए का आर्थिक क्षति हुआ है और अभी भी बहुत खर्च आएगा जगह पर डस्ट जमा है हमारे क्षेत्र के किसान इस परियोजना निर्माण में लापरवाही से परेशान है उनको मुआवजा के साथ उनके खेतों के सुधार के लिए अलग से मदद की जरूरत है । आज खड़ी फसल के निचे भी रेत और पत्थर के जस्ट जो मार्ग निर्माण में प्रयोग होता है जमा है वह हटाना असंभव की तरह है क्योंकि किसान खेत जुताई किया तो मिट्टी मे मिल गए है इस परिस्थिति में किसान परेशान है जिला एवं प्रदेश स्तर पर किसान एवं युवा अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले संदीप द्विवेदी ने कहा अगर सरकार किसानों के हित में नहीं खड़ी है तो किसान एवं उनके परिवार को मौत की ओर अग्रसर कर रही है क्योंकि जीवन यापन के लिए और कोई साधन और नहीं है आज सात सदस्यी दो जांच टीम आई थी कैसे सर्व करें चारों तरफ नुकसान है आकलन करना मुश्किल है कहकर स्वयं अचंभित रह गए किसानो ने उन्हें अपनी समस्या लिखकर पुनः ज्ञापन दिया है । इससे पहले तहसीलदार स्वयं खेतों की दुर्गति देखकर गए हैं पर बार-बार सर्वे के नाम से मुआवजे से बचना राष्ट्रीय राजमार्ग में कार्यरत कंपनी की चाल है पर किसान अपना जान दे देगा पर अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे आज सर्वे टीम के समक्ष किसान कोमल नेताम बीरसिंह जल सिंह जोहन राम सोनसाय नंदलाल पीलू राम जमुन लाल आल्हा राम पवन यादव बहादुर सिंह पुरुषोत्तम साहू आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहे व चेतावानी दिए हमें बार बार मानसिक प्रताड़ित किया गया और हमारे खेतों को बर्बादी होने से नहीं बचाया गया तो पूरे परिवार समेत आत्महत्या करना पड़ेगा और कोई हमारे पास विकल्प नहीं क्योंकि खेत ही हमारा जीवन है ।

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