कांकेर के भूमिपर लहलहाया विश्व प्रसिद्ध काला नमक नामक चावल का फसल

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कांकेर। विश्व की प्रसिद्ध सुगंधित एवं बुद्ध से जुड़ी मान्यता वाली प्रचुर मात्रा में शरीर को भोजन से मिलने वाली जरूर जरूरत को पूरा करने वाला चावल में काला नमक नामक धान का उत्पादन करने जा रहे है समाजसेवी और उन्नत कृषक के रूप में पहचान रखने वाले युवा संदीप द्विवेदी काला नमक चावल अपने सुगंध के साथ आयरन जिंक एवं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है व धार्मिक महत्व भी रखता है क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में इसे महात्मा गौतम बुद्ध धान का नाम भी मिला है जिसे उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में पहली बार उत्पादन की मान्यता है व वहां की सरकार ने भी इसकी उत्पादन पर जोर दिया है आज भी बौद्ध धार्मिक स्थलों में महाप्रसाद के रूप में इस चावल का उपयोग होता है आज इसका मांग विश्व स्तर पर प्रमुखता से है व इसका उत्पादन बहुत ही कम मात्रा में हो पता है संदीप द्विवेदी ने बताया कि मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में इसका चावल सेवन का अवसर मिला था जहाँ इसकी महक दूर-दूर तक फैल रही थी इससे पहले ऐसी महक वाली चावल उन्होंने नहीं खाई थी जब वहाँ के किसान से इसके बारे में जानकारी लिए तो इसका भूसी कला व चावल सफेद होता है व यह मंहगी चावलों की तरह बहुत ही बारीक होती है पता लगा हालांकि बारीक व काला चावल छत्तीसगढ़ में भी विभिन्न प्रकार के संदीप द्विवेदी अपने खेतों में उग चुके थे पर इसमें अपार सुगंध थी जहां से इन्होंने थोड़ी काला नमक का बीज लाकर अपने खेतों में लगाया तो लहलहाती फसल तैयार हुई पौधे बौने थे पर जब धान की बाली बाहर आई तो काला रंग का बारीक धान दिखाई दिया जो क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । संदीप द्विवेदी ने बताया कि उन्हें इसके गुणवत्ता के बारे में ज्यादा मालूम नहीं था पर शुगर वालो के लिए लाभकारी है यह पता था परंतु ऑनलाइन सर्च किए तो उन्हें भी इसके ख्यती व कीमत जानकर हैरान रह गए गूगल और यूट्यूब में काला नमक चावल के गुण के रहस्य और महात्मा बुद्ध से जुड़ी कहानी जानकर खुस हुए संदीप द्विवेदी ने अभी इसे अपने गांव कांकेर जिले के बासनवाही में यहाँ की जलवायु में यह सफल है की नही जानने के कारण अभी कम क्षेत्रो में ही लगाए हैं पर उन्होंने कहा अगली बार अधिक और पूर्ण जैविक रूप से उत्पादन का प्रयोग हो प्रयास करूंगा सोशल मीडिया में इस धन की खड़ फसल का फोटो पोस्ट करते ही उनके उगाई धन भी बीज के लिए बुक कर लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिला से उन्हे संपर्क कर लोग इसका बीज व चावल मांग कर रहे है कुछ किसानों ने जानकारी भी किया की आनलाइन बीज मंगाया गया था पर बीज सही नही थे कुछ पर सुगंध नही मिला अभी संदीप द्विवेदी ने बताया सबको चावत व बीज पूर्ति संभव नही अगली बार उत्पादन बड़ाना होगा इसके गुण जानकर बड़े बड़े राजनीतिक लोग व अधिकारी चावल की मांग कर रहे हैं । उन्होंने कहा की छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है व पूर्वज विभिन्न प्रकार के सुगंधित और पौष्टिक चावल उत्पादन करते थे परंतु कुछ वर्षों से सही बाजार के आभाव व उपभोक्ताओ के उपेक्षा के कारण लगभग सभी प्राचीन गुणवक्ता वाली फसल छत्तीसगढ़ से विलुप्त होते जा रहे हैं उनके स्थान पर बाहरी हाइब्रिड किस्म का भरमार हो चुका है जिससे शरीर को भूख मिटाने के अलावा चावल एवं सब्जी में कोई भी लाभ नहीं प्राप्त हो पाता है किसान भी गुणवत्तापूर्वक चावल के सही कीमत नहीं मिलने से प्रायः उत्पादन बंद कर दिए हैं पुराने किस्म में उत्पादन जरूर कम होता था पर रासायनिक खाद और दवाई का प्रयोग ना की मात्रा में होता था परंतु अब प्रत्येक 15 से 20 दिन में जहरीली केमिकल का छिड़काव होता है इसी का प्रभाव है कि हजारों रोग मानव शरीर को होते जा रहे हैं संदीप अपने फार्म हाउस में सब्जी का भी उत्पादन करते हैं उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक सब्जी का कोई कीमत किसान को नहीं मिलता बजार में उपभोक्ता को चमकदार व ताजी दिखने वाली सब्जी चाहिए हाईब्रिड किस्म के फसल में रोग और खाद भी ज्यादा गलता है इसलिए अधिक से अधिक केमिकल का प्रयोग होता है यह सब किसी न किसी प्रकार से मानव शरीर में प्रवेश करते जा रहे हैं जिससे भविष्य का मानव जीवन संकट में है सरकार और समाज दोनों को चाहिए कि किसान समृद्ध हो उसे सही दाम व पहचान मिले हमारे छत्तीसगढ़ के प्राचीन फसल संरक्षित हो इनका सही दाम देने वाले बाजार निर्मित हो अन्यथा खाद्य पदार्थ के ऊपर आश्रित रहने वाले प्रत्येक जीव का जीवन जहरीली दवाई और रासायनिक उर्वरक का टैंक बन जाएगा व पूरे देश से हमारे गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ विलुप्त हो जाएंगे अगर भोजन शुद्ध और विटामिन प्रोटीन से भरपूर चाहिए तो हमारे देश व राज्य के गुणवत्ता से भरे खाद्य पदार्थो को बचाने व उत्पादन किए गए अन्न को सही बाजार मिलना चाहिए तभी कोई किसान गुणवक्ता प्रदान करने वाली फसल लगा पाएंगे संदीप अपने निश्वार्थ भाव से समाज सेवा कार्यो के साथ अब किसानो के लिए भी युवा प्रेरणा का पहचान बना लिए हैं ।

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