आचार्य छत्तीसी विधान का बना वर्ल्ड रिकाॅर्ड, छत्तीसगढ़ के 76 दिगंबर जैन मंदिरों में एक साथ हुआ धार्मिक अनुष्ठान
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिगंबर जैन समाज के द्वारा बुधवार को धार्मिक अनुष्ठान के क्षेत्र में वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया गया। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर के गुणानुवाद के लिए समर्पित विशेष धार्मिक अनुष्ठान आचार्य छत्तीसी विधान का आयोजन कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में नाम दर्ज कर इतिहास रच दिया। समूचे छत्तीसगढ़ के 76 दिगंबर जैन मंदिरों में एक साथ प्रातः 7 बजकर 36 मिनट पर यह विधान प्रारंभ हुआ जो अनवरत् लगभग 3 घंटे चलता रहा। जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग भक्तिमय आराधना के साथ जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीपक, धूप, फल सहित अष्ट द्रव्यों के साथ अर्घ समर्पण करते हुए विधान करते रहे। वहीं शाम को सभी मंदिरों में विशेष भक्ति व आचार्य विद्यासागर की महाआरती का कार्यक्रम हुआ। इस संबंध में एक साथ इतने मंदिरों में एक समय पर पूजा विधान करने के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ गोल्डन बुक का वर्ल्ड रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ की स्टेट कोऑर्डिनेटर श्रीमती सोनल राजेश शर्मा एवं कार्यक्रम संयोजक लोकेश चंद्रकांत जैन ने इसकी आधिकारिक घोषणा की 17 अक्टूबर में आयोजित शरदोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अथिति माननीय विष्णु देव साय (मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन) के हाथों से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट एवं बैच रायपुर एवं छत्तीसगढ़ के सभी मंदिरों अध्यक्ष को प्रदान किया जाएगा । उक्त आयोजन में विशेष रूप से ब्रह्मचारी सुनील भैया मनीष जैन ,प्रदीप जैन, विजय कस्तूरे ,अजय जैन, आजाद जैन ,अमिताभ जैन ,संदीप बंडी और अन्य श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहेंगे।
इस आयोजन में रायपुर के फाफाडीह, शंकर नगर, टैगोर नगर, डीडी नगर, मालवीय रोड, चूड़ी लाइन, लाभांडी, बढ़ईपारा, अमलतास कचना और गुढ़ियारी के दिगंबर मंदिर से जुड़े सभी लोग शामिल हुए। जैन आगम के अनुसार पांच परम पदों में से एक आचार्य पद है जिसमें उनके तप, संयम, स्वाध्याय, समिति, आहार, महाव्रतों सहित 36 मूलगुणों का पालन करना अनिवार्य होता है। उल्लेखनीय है कि आचार्य विद्यासागर ने अपने दीक्षा के 56 वर्षों में कठिन व्रत करते हुए आजीवन नमक, तेल, शक्कर, हरी सब्जियों, सभी प्रकार के फल, ड्राइ फ्रूट्स, चटाई, दिन में सोना, समस्त वाहन, दूध, दही, सभी भौतिक संसाधनों का आजीवन का त्याग कर दिया था। उन्होंने स्वयं साधना में लीन रहते हुए लगभग 400 से ज्यादा मुनि, आर्यिका दीक्षाएं दी। उन्होंने 100 से अधिक ग्रंथो की रचना की। जन-जन के कल्याण के लिए पूर्णांयु आयुर्वेद महाविद्यालय व अस्पताल, प्रतिभास्थली स्कूल, 150 से अधिक गौशालाएं, हजारों हथकरघा केंद्रों सहित सैकड़ों मंदिरों का पुनरूद्धार व नई मंदिरों का नवनिर्माण कराया। आचार्य विद्यासागर के साहित्य एवं जीवनदर्शन पर 35 से अधिक डी.लिट व अनगिनत पीएचडी की जा चुकी है।
शारदोत्सव में प्रदर्शनी व नाट्य का मंचन कल
आचार्य विद्यासागर के जन्मदिवस को भव्य महोत्सव के रूप में शारदोत्सव के रूप में गुरूवार को मनाया जाएगा। शहर के दीनदयाल आडिटोरियम में संध्या 6 बजे से होने वाले इस गुरू शरणम् उत्सव में देश-विदेश से अतिथि शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त जबलपुर के विवेचना रंगमंडल के 30 से अधिक कलाकारों द्वारा विद्यासागर महाराज के जीवन पर आधारित नाट्य की प्रस्तुति दी जाएगी। वहीं हथकरघा केंद्रों, पूर्णायु आयुर्वेद संस्थान द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।