शिक्षा के नाम पर हुए घोटाले के सामने हर कोई मौन रहेगा तो इसके खिलाफ अभियान में कौन रहेगा : विकास उपाध्याय

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रायपुर। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नौ महिने की सरकार सभी क्षेत्रों में विफल नजर आ रही है लेकिन शिक्षा के नाम पर जो 100 करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला हुआ है उसकी परत दर परत खुलती जा रही है। पिछले दिनों कबाड़ में मिले लाखों पुस्तकों का भण्डारण जिसे रद्दी के भाव में फिर से री-साइकिलिंग के लिए बेचा गया था उसका भाण्डा फोड़ होने के पश्चात् दो दिन पूर्व अभनपुर के स्कूल में भी हजारों की संख्या में पुस्तकों को डम्प करके रखा गया था और आज इसी प्रकार राजधानी के हिन्दु हाई स्कूल में हजारों की संख्या में पुस्तकें पायी गई। जबकि उस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 177 है और ऐसी स्थिति में सैंकड़ों स्कूलों में बंटने वाले पुस्तकों का इस स्कूल में पाया जाना साफ-साफ घोटाला नजर आ रहा है ताकि कुछ दिनों पश्चात् इन पुस्तकों को रद्दी के भाव में या फिर री-साइकिलिंग के लिए किसी कम्पनी को दिया जा सके। विकास उपाध्याय ने कहा कि लगातार पुस्तकों का इस प्रकार पाया जाना साफ-साफ भारतीय जनता पार्टी के नेता और अधिकारियों की मिली-भगत से किस प्रकार करोड़ों का घोटाला किया गया है यह देखने को मिल रहा है, लेकिन साय सरकार अब तक इस पर किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं की है, नाममात्र के लिए और जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक को निलंबित किया गया है। जबकि पूर्व में भी इस घोटाले के लिए मांग की गई है कि इसकी सीबीआई जाँच होनी चाहिए या मजिस्ट्रेट लेवल पर समिति बनाकर इसकी जाँच होनी चाहिए।

उपाध्याय ने कहा कि यह देखकर बड़ा दुःख होता है कि जिन किताबों को बच्चों के बस्तों में होना चाहिए वही किताब चंद रूपयों के लिए भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ गई और कबाड़ में पायी जाती है। साय सरकार बच्चों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है और जब कांग्रेस पार्टी द्वारा इस घोटाले का भाण्डा फोड़ किया गया तब आनन-फानन में सभी जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय एवं जिन-जिन स्कूलों में पुस्तक डम्प हुए हैं उनको मंगाया जा रहा है। अब यह देखना है कि जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय एवं स्कूलों से कितनी मात्रा में पुस्तकें वापस आती हैं और अंत में इन पुस्तकों का क्या किया जाता है, इसका लिखित में जवाब सरकार को देना होगा। उपाध्याय ने कहा कि पुस्तकें छापने का जब टेण्डर हुआ तब क्या टेण्डर लेने वाली कम्पनी को पुस्तकों की संख्या नहीं बताई गई थी या फिर सरकार को यह तक पता नहीं था कि छत्तीसगढ़ में स्कूली छात्रों की संख्या कितनी है और कितनी मात्रा में पुस्तकों को आबंटन किया जाना है या फिर सीधे-सीधे ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए ज्यादा संख्या में पुस्तकों की छपाई करवाई गई। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शिक्षा जैसे क्षेत्र को इस घोटाले के माध्यम से शर्मसार किया है, इसका जवाब छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग ढाई करोड़ जनता को देना होगा। उपाध्याय ने कहा कि जब शिक्षा के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के सामने हर कोई मौन रहेगा तो इसके खिलाफ अभियान में कौन रहेगा। विकास उपाध्याय ने कहा कि बहुत जल्द इस घोटाले के खिलाफ प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों में सड़क पर आकर प्रदर्शन किया जाएगा।

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