अमित शाह का ऐलान…दो साल में नक्सलियों का कर देंगे सफाया, लड़ाई अंतिम दौर में
शाह ने कहा- अब तक 17 हजार की जान ले चुका है नक्सलवाद
रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नवा रायपुर में सात राज्यों के डीजीपी और मुख्य सचिवों के साथ नक्सलवाद के खिलाफ गंभीर मंथन किया। नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की रणनीति तैयार की गई। बैठक करने के बाद श्री शाह मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने नक्सलवाद को लेकर बड़ा ऐलान किया, कहा है कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में पंहुच रही है। मार्च, 2026 तक पूरे देश से नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ विकास, प्रॉसीक्यूशन और ऑपरेशन के तीनों मोर्चों पर एक संपूर्ण रणनीति के साथ लड़ाई लड़ी है जिसके परिणामस्वरूप ये समस्या अब काफी हद तक सिमट गई है।
श्री शाह ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की इस बात के लिए जमकर सराहना की है कि सरकार बनने के बाद 8 महीनों के भीतर नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रभावी रणनीति को लागू किया गया है, उसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। बैठक की जानकारी देते हुए श्री शाह ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट और प्रोजेक्ट की राह में बाधा दूर करने के लिए को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक यहां रखी गई थी। इस बैठक में सभी नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव शामिल हुए।
2022 में सबसे कम मौतें हुई
श्री शाह ने बताया कि वर्ष 2022 एक ऐसा साल रहा है जब नक्सलवादी घटनाओं में सबसे कम 100 से भी कम लोगों की मृत्यु हुई है। 2014 से लेकर 2024 तक वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं कम हुई है। इस अवधि में नक्सलियों के 14 टॉप लीडर मारे गए। विकास का विश्वास जनरेट करने में सफलता मिली है और रूल ऑल लॉ स्थापित हुआ है। जहां विनाश सर्जित हुआ है वहां खाई को भरा गया है। बिहार, झारखंड़, ओडिशा और महाराष्ट्र नक्सल मुक्त हुए हैं, ये भारत सरकार का बहुत बड़ा अचीवमेंट है।
शहीदों की संख्या में 86 प्रतिशत कमी आई
श्री शाह ने कहा कि 2010 में हिंसा के उच्च स्तर की तुलना में 2023 में जान गंवाने वाले नागरिकों तथा शहीद सुरक्षा कर्मी की संख्या में 86 प्रतिशत की कमी आई है। 2010 में 1005 शहीदों की तुलना में 2023 तक यह संख्या घटकर 138 रही है। इसी प्रकार 2004 की तुलना में 2014 तक हिंसा की घटना में 54 प्रतिशत कमी आई है। शहीद सुरक्षा जवानों की संख्या में 72 प्रतिशत, जान गंवाने वाले नागरिकों की संख्या में 69 प्रतिशत की कमी तथा नक्सल हिंसा में जान गंवाने वाले नागरिकों तथा सुरक्षा जवानों की शहादत में 70 प्रतिशत की कमी आई है। देश में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 2023 में 126 थी जो अब 2024 में कम होकर 38 रह गई है। देश में नक्सल हिंसा ग्रस्त थानों की संख्या 2010 में 96 थी जो 2023 तक 42 रह गई है। 2010 में 465 थानों से कम होकर यह समस्या 2023 तक 171 तक रह गई है।
8 महीने में मार गिराए 147 नक्सली
दरअसल, विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले आठ महीने में ही 147 माओवादियों को मार गिराया है। इसी दौरान 631 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख़्याधारा में लौटे हैँ. इसका श्रेय साय सरकार द्वारा संचालित नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन को दिया जा रहा है. राज्य में पिछली सरकार के कार्यकाल में पांच साल में जहां सिर्फ 219 माओवादी मारे गए वहीं आठ महीने में ही नक्सलियों के लगातार एनकाउंटर तथा आत्मसमर्पण को विष्णु देव साय सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। साय सरकार ने नक्सल इलाकों में 33 सुरक्षा कैम्प स्थापित किए हैं जल्द ही 16 और कैम्प स्थापित किए जाएंगे।