चातुर्मास आरंभ होते ही चार माह के लिए शुभ कार्यों पर लगेगा विराम

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विवाह, सगाई, यज्ञोपवित संस्कार, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश व अन्य कार्यों पर विराम

रायपुर। आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष एकादशी 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। मान्यता है कि इस दिन से चार माह तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होगी। इन चार महीनों में सभी मांगलिक कार्य, विवाह, सगाई, यज्ञोपवित संस्कार, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश व अन्य कार्यो पर विराम लग जाएगा। इन चार माह को चातुर्मास भी कहते हैं, जिसमें साधु, संत पृथ्वी लोक में विहार करके भजन पूजन करते हैं।
17 जुलाई से देवशयनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। चातुर्मास आरंभ होते ही भगवान विष्णु धरती का कार्यभार सौंपकर क्षीरसागर में योग निद्रा करेंगे। इस दौरान चार माह तक शिव आराधना का काफी महत्व है। सावन का महीना भी चातुर्मास में शामिल है। चातुर्मास में पूजा पाठ, कथा, अनुष्ठान, जप-तप से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। भगवत भजन के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। आहार विहार का काफी ध्यान रखा जाता है। इस काल में सूर्य चन्द्र का तेज पृथ्वी पर कम पहुंचता है। जल की मात्रा बढ़ जाती है। वातावरण में अनेक जीवजंतु उत्पन्न होते हैं जो रोग का कारण बनते हैं। इसमें आहार विहार में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
चातुर्मास का काल 118 दिनों का होगा
16 जुलाई रात 8 बजकर 34 मिनट से देवशयनी एकादशी प्रारंभ हो जाएगी, जो 12 नवम्बर तक रहेगी। इस दौरान 118 दिनों का काल चातुर्मास कहलाएगा। इस काल में भगवान शिव, गणेश, कृष्ण, देवी दुर्गा का पर्व प्रारंभ होता है। 21 जुलाई को गुरू पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि को गुरू व व्यासनारायण की पूजा होती है। 22 जुलाई से सावन माह प्रारंभ हो जाएगा। इसमें एक माह तक भगवान महादेव की विशेष पूजा, अभिषेक, व्रत होगी।

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