सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. वासुदेव यादव लिख रहे पुस्तकें, “साजिशें प्रेम की” और “प्रेमाग्नि” हैं इनकी खास कीताब

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घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता) । ऐसे विरले ही लोग होते हैं जो रिटायरमेंट के बाद का शेष समय समाज के लिये जीते हैं , ऐसे व्यक्ति के चाहने वालों की संख्या बड़ी होती है। आज की खबर में हम ऐसी ही एक सख्सियत से रु-ब-रु कराने जा रहे हैं आपको , जिसने एसईसीएल कोयलांचल के छाल उपक्षेत्र में नौकरी पूरी करने के बाद कि संपूर्ण जिंदगी समाज को समर्पित कर दी।
दो दशक पूर्व इंटक युनियन, रायगढ़ कोयला अंचल के फाउंडर डॉ वासुदेव यादव ने डोमनारा एसईसीएल कालोनी में मजदूरों को शिफ्ट करवाने के लिए प्रथमतः कलोनी में ही केएवी नामक हाईस्कूल शुरू की और गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा से जोड़ कर उनके तरक्की के रास्ते खोले , साथ ही मजदूरों के इलाज के लिए एक डिस्पेंसरी भी खुलवाई। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां किसी से छिपी नही है। वे गरीबों के घर तक पहुंचकर उन्हें निरोगी काया के छोटे-छोटे नुस्खे समझाते है। लेखन के क्षेत्र में उनकी खास रुचि है , इसके लिये वे आज भी सक्रिय बने हुए हैं।सोशल फोरम आन ह्यूमन राइट्स के प्रदेशाध्यक्ष गनपत चौहान बतलाते हैं कि डॉ यादव अपने कोयलांचल रायगढ़ क्षेत्र में इंटक श्रम संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं , वे अपने सेवा काल के अंतिम दिनों के बाद भी आज तक कोयला श्रमिकों के हितों के संरक्षण के लिए संघर्षरत देखे जा रहे हैं इसलिए चौहान उन्हें कोयला श्रमिकों के मध्य रोल मॉडल के रूप में देखते हैं वह इसलिए कि उन्होंने आयुर्वेदाचार्य ,डिप्लोमा इन एक्यूपंक्चर एवम डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा ग्रहण कर मेडिकल लाईन के होने के बावजूद नौकरी से मुक्त होने के बाद प्रकाशित काव्य पुस्तकों में कविताओं की ओर सन 2002, अंदर का सच 2004,भागवत,बायबल और कुरान 2001,वो एक लड़की ( लघुकथा) संग्रह 2022, ड्रीम व्हेन यू स्टार्ट डेकोरेटिंग ( मोटिवेशनल इंग्लिश नावेल) तथा शब्दों की सर्जरी ( उपन्यास) 2022 के साथ एक मोटिवेशनल प्रेरणादायक उपन्यास ख्वाब जब सजने लगे लिख डाली जिसे हजारों लोगों ने पढ़कर पसंद किया| अभी वे दो डिजिटल उपन्यास क्रमशः “साजिशें प्रेम की” एवं *”प्रेमाग्नि” लिख रहे हैं जिसका लिंक है https://pocketnovel.onelink.me/tSZo/ltfzogd1
एवं https://pocketnovel.onelink.me/tSZo/6zptl8l2 है
जिसे अभी मोबाइल पर हजारों पाठक पॉकेट नॉवेल इंस्टाल कर प्रतिदिन पढ़ रहे हैं । इसके साथ ही विश्व के इक्कीस देशों के कवियों के संग इनकी भी रचना प्रकाशित हुई है इस अंतर्राष्ट्रीय काब्य संकलन का नाम है धरा से गगन तक जिसके संपादक विजय तिवारी जी हैं, इनकी यात्रा यहीं पर नही रुकी और डॉ मीन केतन प्रधान जी रायगढ़ के संपादन में अंतर्राष्ट्रीय शोध ग्रंथ छायावाद के सौ बर्ष और मुकुट धर पांडेय पर एक शोध पत्र लिख कर इन्होंने लेखन के क्षेत्र में इतिहास रच डाला।
रायगढ़ कोयलांचल और एसईसीएल कम्पनी में डा वासुदेव यादव कोयला श्रमिकों के मध्य एक जाना पहचाना नाम है वे मूलतः झारखंड प्रदेश के मधुपुर( कुशमहा) जिला बैजनाथ धाम से है पर वे सेवानिवृत्ति के पश्चात अपने पैतृक गांव न जाकर छाल उपक्षेत्र के डोमनारा कालोनी के निकटस्थ आवासीय मकान और केएवी पब्लिक हाईस्कूल खोलकर अपनी धर्मपत्नी अनिता यादव के साथ स्कूली बच्चों को बेहतर शिक्षा और लेखन के कार्यो में निरंतर समय दे रहे हैं । उल्लेखनीय है कि एस ई सी एल रायगढ़ के डोमनारा में कोयला खदान खुलवाने में इनका अहम योगदान था जिसके लिए इन्हें प्रदर्शन करने के साथ साथ दिल्ली तक भी दौड़ लगानी पड़ी। अभी वर्तमान में वे हिन्द मज़दूर किसान पंचायत के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए किसानो की समस्या हल करने में व्यस्त हैं।

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