लगातार बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले, इस मौसम से रहें सावधान

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इन दिनों सोशल मीडिया पर लोग शेयर कर रहे कि “इस उम्र में हार्ट अटैक हो गया!” तो चौंकने की जगह होशियार हो जाएं। ठंड में यहां भी यह सब सचमुच बढ़ा हुआ है। एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ बता रहे कि होता क्या है और कैसे? बचें तो कैसे? यह जानना जरूरी है कि आखिर सोशल मीडिया पर लोग क्यों लिख रहे- “मेरे फलां जानने वाले को इस उम्र में हार्ट अटैक हो गया!” या “हार्ट फेल बहुत हो रहा है, फलां भी चले गए! जाने की उम्र नहीं थी।” आदि-आदि। संकट को समझते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के कार्डियक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. संजीव कुमार ने विस्तार से जानकारी दी।

क्या होता है इस मौसम में, इसे समझें
डॉ. संजीव कहते हैं- “इस मौसम में ज्यादातर लोगों को ठंड लगती है। जिन्हें स्वाभाविक तौर पर ठंड लगती है, वह बचने का उपाय करते रहते हैं। जिन्हें लगता है कि ठंड नहीं है या जो लापरवाही से रहते हैं, उन्हें बिहार की भाषा में ‘ठंडा मार देता है’। यही ठंडा मारना खतरनाक है। कई बार छोटे लक्षण दिखकर फिर ठीक हो जाती है स्थिति तो कई बार अंदर-अंदर ज्यादा कुछ हो जाता है। दरअसल, ऐसे मौसम में शरीर के अंदर आर्टरी (धमनियों) में सिकुड़न आती है। यही सिकुड़न हार्ट की आर्टरी में भी होती है। इस सिकुड़न के कारण ब्लड को आर्टरी से होकर गुजरने में ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है। यही ताकत लगाए जाने के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इसके साथ एक संकट यह भी होता है कि ताकत लगाकर भी आर्टरी में रक्त कम मात्रा में जाता है। इसी क्रम में कई बार टिश्यूज में ब्लड कम जाता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ती है। यह तो हुई ठंड के प्रभाव से हार्ट अटैक तक ले जाने वाली नौबत। दूसरी बात, इस समय एक्सपोज़र का खतरा होता है। अचानक शरीर पर बाहरी बदले तापमान का असर पड़ता है तो खून आर्टरी के मसल्स में चला जाता है। यह एक तरह का ब्लॉकेज जैसी स्थिति बनाता है। यही ज्यादा देर रह गया तो उस एरिया में ब्लड सप्लाई रुक जाता है। और, कहीं भी रक्ता प्रवाह का रुकना हार्ट फेल्योर का खतरा अचानक सामने ला सकता है।”

बचना मुश्किल नहीं, बस ध्यान रखें कुछ बातें
घर के बड़े अक्सर कहते हैं- ठीक से पहन-ओढ़ कर बाहर निकलो। यह गलत नहीं। इस मौसम में तो खासकर। डॉ. संजीव कहते हैं- “कोल्ड स्ट्रोक का मौसम है, इसलिए शरीर को बाहरी तापमान में अचानक परिवर्तन झेलने के लिए विवश नहीं करना चाहिए। जैसे बिल्कुल बंद में हैं तो थोड़ा सामान्य होते हुए बाहर जाएं। मतलब, अचानक बाहर मत जाएं। बाहर निकलना है तो गर्म कपड़ा ठीक से पहनें। गला ढंक कर रखें। पूरा गर्म कपड़ा कभी भी एक बार में नहीं उतारें। सुबह उठते ही या गर्म कपड़ा तुरंत उतारकर नहाने न जाएं। पहले से बीपी है तो दवा लेते रहें। नहीं है तो भी आसामान्य लगने पर जांच कराते रहें।

कई बार जाड़ा में बीपी की दवा की मात्रा बढ़ जाती है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करें। डायबिटीज रोगी या 60+ वाले लोग एक्सपोजर से विशेष तौर पर बचें।

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