फिर सड़क पर उतरा सर्व आदिवासी समाज

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5 सूत्रीय मांगों को लेकर किया कलेक्टोरेट में प्रदर्शन

सुकमा। अनुसूचित क्षेत्रों में (पांचवी अनुसूची) में स्थानीय आरक्षण बहाल कर स्थानीय मूल निवासियों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती सुनिश्चित किए जाने को लेकर एक बार फिर से सर्व आदिवासी समाज सड़क पर आ गया है। आयोजित धरना प्रदर्शन में दूर दराज से बड़ी संख्या में आदिवासी पहुंचे थे। वहीं इस दौरान पुलिस के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात भी किये गये थे। बहुचर्चित सर्व आदिवासी समाज एक बार फिर से 5 सूत्रीय मांगों को लेकर सड़क पर उतर आया है। इस दौरान दूर दराज से आये सर्व आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज द्वारा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा अगर सभी मांगों पर सरकार ने सहानुभूति पूर्वक कार्रवाई नहीं किए तो फिर लाखों की संख्या में आदिवासी समाज कलेक्टोरेट के भीतर घुस कर प्रदर्शन करेगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।

पांच सूत्रीय मांगों पर गंभीर हो सरकार

छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के बस्तर संभाग एवं सरगुजा संभाग, सुकमा जिला एवं अनुसूचित विकास खण्डों में संभाग जिला कैडर के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय मूलनिवासियों को भर्ती किया जाए तथा अनुसूचित (5वीं अनुसूची) क्षेत्रों में शत प्रतिशत स्थानीय आरक्षण लागू किया जाए। वहीं वर्तमान में अनुसूचित क्षेत्रों में हो रहें, शिक्षक भर्ती में डीएड, बीएड एवं टीईटी की अनिवार्यता को शिथिल किया जावें। साथ ही सुकमा जिले में शासन प्रशासन द्वारा विभिन्न शासकीय नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग एवं नीट कोचिंग को नियमित संचालित किये जायें। आगामी सत्र से सुकमा जिला मुख्यालय में डीएड, बीएड कालेज, नर्सिंग कालेज एवं कृषि महाविद्यालय खोला जायें।

मांगों का करें तत्काल निराकरण : रामदेव

सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के अध्यक्ष रामदेव बघेल ने कहा कि जो भी मांगे है। उसका तत्काल निराकरण करें। अन्यथा आज की भीड़ से ज्यादा भीड़ आने वाले दिनों में आयेगी। उक्त आंदोलन सारे बस्तर संभाग में चल रहा है। बघेल ने कहा कि फिलहाल हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रख रहे है, अगर सुनवाई नहीं हुई, तो फिर आगे इससे भी खतरनाक तरीके से आंदोलन व प्रदर्शन होगा। बघेल ने कहा कि प्रशासन को 22 मार्च का दिन नहीं भूलना चाहिए।

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