नाली के उपर चल रहा न्यूरो का उपचार, स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर व्यापार चलाने की कवायद
दूसरे राज्यों के डाक्टरों के महंगे इलाज के लिए जनता बाघ्य
जगदलपुर ( न्यूज टर्मिनल) । उपचार के नाम पर अपनी दुकान चलाने का कारोबार शहर में फल फूल रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर सरकारी दावा कमजोर पडता नजर आ रहा है। सामान्य बीमारियों को बेहतर उपचार के नाम पर बाहरी राज्यों के स्पेशलिस्ट डाक्टरों का ऐसा प्रचार प्रसार किया जा रहा है कि मरीजों की मजबूरी का यह आलम है कि नालियों के उपर बने पुलिया पर न्यूरोलाजी का उपचार हो रहा है। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने जिला अस्पताल सहित मेडिकल कालेज की व्यवस्था हैँ । यहां पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों का अभाव बना हुआ है। बस्तर अंचल में बडे जानकार डाक्टर सेवा देने से कतराते नजर आ रहे हैं। इससे बचने के लिए सरकार ने मेडिकल कालेज में पीजी कर रहे छात्रों से दो साल बस्तर में सेवा देने का बांड भी भराया है। लेकिन इसके सार्थक नतीजे सामने आते नहीं दिख रहे हैं। यहां के जरूरतमंदों के लिए रायपुर व विशाखापटनम का ही रास्ता पहले था अब ऐसे मरीज जो हैदराबाद का उपचार ले सकते हैं उनके लिए वायुसेवा की भी व्यवस्था है। कई ऐसे मरीज भी हैं जो आर्थिक तौर पर कमजोर हैं उन्हें जब यह बताया जाता है कि स्पेशलिस्ट डाक्टर अपनी सेवा स्थानीय स्तर पर देंगे तो उनकी मजबूरी होती है कि वे उसी स्थान पर उपचार करवाए जहां पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों को बुलाया जाता है। इस काम में अब स्थानीय दवा दुकान संचालकों में प्रतिस्पर्धा की होड लगी है। धरमपुरा से लेकर शहर के प्रमुख दवा दुकान संचालक सप्ताह व पखवाडे में एक बार स्पेशलिस्ट डाक्टरों को बुलाते हैं। इससे पहले वे मरीजों का पंजीयन भी खुद करते हैं। उचार के बाद दवा संबंधित दुकान से लेने की मरीजों की बाध्यता होती है। स्पेशलिस्ट डाक्टर भी वही दवाएं मरीजों को बताते हैं जो संबंधित दवा दुकान पर उपलब्ध है। वर्तमान में मेडिसिन, सर्जरी, गाइनिक, आर्थो, पेडियाट्रिक या फिर न्यूरो सर्जन जो भी हो वो एक दवा दुकान के सामने ही सभी उचार करने में सक्षम नजर आ रहे हैं। ऐसे में बस्तर की स्वास्थ्य सुविधा की बदहाली सार्वजनिक हो रही है।
पंजीयन के बाद जांच बाध्यता
दवा दुकान संचालक जिन मरीजों का पंजीयन कर रहे हैं उनके लिए प्राथमिक उपचार के बाद जांच एक बाध्यता होती है। जांच के लिए स्पेशलिस्ट डाक्टर जो पर्ची थमाते हैं वो जांच यहां पर संभव नहीं होता है। यदि कुछ जांच संभव भी होता है तो उसकी प्रमाणिकता पर डाक्टर सवाल करते हैं। उनका मानना है कि रायपुर या फिर आंध्र में जाकर ही पूरी जांच कर रिपोर्ट डाक्टरों को दिखाई जाए। ऐसे में मरीज के लिए बाहर जाना और फिर वहीं उपचार करवाना मजबूरी बन जाती है।