जल्द बे-नकाब हो जाएगा बस्तर का विवादित एनजीओ, प्रबल आधार सेवा संस्थान को नियम विरुध्द काम दिलाने वाले आईएफएस के हाथ-पैर फूले,विभाग प्रमुख के निर्देश पर जांच जारी, 22 को अरण्य भवन पहुंच जाएगी रिपोर्ट

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रायपुर। प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने के बाद संभवत: यह पहला मौका होगा जब बस्तर से कोई बड़ा घोटाला सामने आएगा। वन विभाग के मुख्यालय अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के एक आला अफसर की सरपरस्ती में बस्तर की स्वयंसेवी संस्था प्रबल आधार सेवा संस्थान को नियम विरुध्द दिए गए कामों की जांच शुरू हो गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी की देखरेख में बस्तर वन संभाग के तीन आला अफसरों की टीम यह जांच कर रही है।जिसमें संकेत दिए गए हैं कि प्रथमदृष्टया इस एनजीओ के कामों में भारी गड़बड़ी दिखाई दे रही है।

वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पारदर्शिता के साथ जांच की जाए तथा शासकीय नियम-कायदों की अनदेखी करके सरकार को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के तुरंत बाद अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के एक आला अफसर ने जिस तरह से जगदलपुर की स्वयंसेवी संस्था प्रबल आधार सेवा संस्थान को बीजापुर और दंतेवाड़ा में काम दिलाया, उससे बस्तर में काम करने वाली अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के कान खड़े हो गए। बताया जा रहा है कि बीते करीब चौदह-पंद्रह महीनों में ही इस एनजीओ को प्रशिक्षण व जागरूकता के अलावा जैव विविधता, पीबीआर तथा बीएमसी के करीब दो करोड़ रुपए के कार्य आवंटित कर दिए गए। जिसमें से अधिकतर काम कागजों पर निपटाकर भुगतान करा दिया गया।

आईएफएस के हाथ-पैर फूले
इस मामले के सामने आते ही अरण्य भवन में पदस्थ भारतीय वन सेवा के आला अफसर के हाथ-पैर फूलने लगे। अनेक स्थानों पर जाकर उन्होंने सफाई दी कि सभी काम नियमानुसार दिए गए हैं। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। इस पर उन्हें जवाब के साथ चेतावनी भी दी गई कि मामले की जांच कराई जा रही है। अगर गड़बड़ी पाई गई तो सख्त कार्रवाई करने के लिए वनमंत्री की तरफ से दिए गए हैं।

दान भी दिया
फर्जीवाड़ा करके लाखों रुपए कमाने वाले इस एनजीओ की तरफ से पिछले दिनों कोरोना से निपटने के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में एक लाख रुपए दान दिए गए। संस्थान की तरफ से यह राशि बस्तर सांसद दीपक वैज को दी गई है। इसके अलावा शहर की कुछ अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों को भी संस्था ने उदारता के साथ दान दिया है।

पारदर्शिता से होगी जांच
प्रधान मुख्य वन संरक्षक के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है। इसके लिए तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है। मैं खुद उसकी मॉनीटरिंग कर रहा हूं। जांच समिति किसी भी प्रकार के प्रभाव में नहीं आएगी। तथ्यों को एकत्र किया जा रहा है तथा निर्धारित समयावधि 22 अप्रैल तक जांच रिपोर्ट प्रधान मुख्य वनसंरक्षक तक पहुंच जाएगी। प्राप्त दस्तावेजों व साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
शाहिद खान
मुख्य वनसंरक्षक, बस्तर

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