कांग्रेस नेता के साथ महिला ने रायपुर-दिल्ली जाकर की लॉबिंग, जगदलपुर में घर बैठे मां को बना दिया गया प्रत्याशी,पार्टी के फैसले से आम कार्यकर्ता भौंचक,नगर निगम में कब्जा बरकरार करने की कवायद को झटका

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जगदलपुर। बस्तर सांसद के साथ साए की तरह चलने वाले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी जगदलपुर की एक महिला को लेकर पहले रायपुर और फिर हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचते हैं। इन दोनों ही स्थानों पर महिला की मुलाकात पार्टी के बड़े नेताओं के साथ कराई जाती है। एकांत में उनकी बातचीत होती है और उसके कुछ घण्टों बाद ही कांग्रेस की प्रदेश चयन समिति जगदलपुर नगर निगम के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी करती है और उस सूची में उस महिला की गृहिणी मां को एक वार्ड से प्रत्याशी बना दिया जाता है। पार्टी के इस फैसले से उस वार्ड के कार्यकर्ता भौचक हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने पंद्रह बरसों तक संघर्ष किया था और पार्टी नेतृत्व की तरफ बड़ी हसरत भरी नजरों से देख रहे थे।

नगरीय निकाय चुनाव की रणभेरी बजते ही प्रदेश कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन के लिए एक मापदण्ड तैयार किया था, जिसमें तय किया गया था कि कांग्रेसजन ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के माध्यम से अपना दावा पेश करेंगे। इसके बाद जिला स्तरीय कमेटी उनका परीक्षण करेगी और दावेदारों का पैनल बनाकर प्रदेश कमेटी को भेजेगी। इस मापदण्ड के आधार पर सैकड़ों कांग्रेसजनों ने अलग-अलग वार्डों से अपना दावा प्रस्तुत किया लेकिन कांग्रेस की परम्परा रही है कि उसे अपने कार्यकर्ताओं की जगह पैराशूट प्रत्याशियों पर अधिक भरोसा होता है। कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने का खामियाजा कांग्रेस अनेक बार भुगत चुकी है परंतु उसने अपनी कार्यशैली में अब तक बदलाव नहीं किया है।

पैराशूट प्रत्याशी
आरक्षण में नगर निगम जगदलपुर में महापौर का पद अनारक्षित महिला रखा गया है, इसलिए स्थानीय नेता अपनी-अपनी पसंद की नेत्रियों को मैदान पर उतारकर इस पद पर कब्जा करने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसा करते समय वे इस बात की अनदेखी करते रहे कि जिस नेत्री की वे पैरवी कर रहे हैं, उसका अतीत क्या है तथा उससे पार्टी की साख पर किस तरह का विपरीत असर पड़ेगा। अपनी निजी पसंद को पार्टी में थोपकर वे पैराशूट प्रत्याशी मैदान पर उातरे में सफल हुए हैं।

कांग्रेस सरकार से पहले भाजपा में
प्रदेश कांग्रेस के जिस नेता के साथ महिला ने रायपुर और दिल्ली जाकर बड़े नेताओं से मुलाकात की, सालभर पहले तक वह भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय रही है। प्रदेश में जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ, उसने कांग्रेस नेताओं के साथ पींगे बढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ महीने पहले ही प्रदेश कांग्रेस के इस पदाधिकारी की मेहरबानी से उसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष कांग्रेस में प्रवेश किया। हालांकि इस महिला के बारे में बताया जाता है कि बस्तर कांग्रेस के एक बड़े नेता के परिवार के साथ इसका पारिवारिक रिश्ता रहा है लेकिन वह रिश्ता अधिक समय तक नहीं चल पाया। दूसरी शादी भी कामयाब नहीं रही और परिवार का यह विवाद अभी अदालत के समक्ष विचाराधीन है।

नजदीकी का फायदा उठा मां को बनाया प्रत्याशी
इस महिला की मां को कांग्रेस ने जगदलपुर के एक वार्ड से अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान पर उतारा है, जिनके बारे में कहा जाता है कि राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है। परंतु प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी से नजदीक का फायदा उस महिला की बेटी  ने उठाया और अपनी मां को प्रत्याशी बनाने में सफल हो गई। इस महिला को चुनाव  लड़ाने के फैसले का पार्टी के स्थानीय नेताओं ने भी विरोध नहीं किया क्योंकि इसकी आड़ में उन्होंने भी अपनी करीबियों व पसंद की नेत्रियों को प्रत्याशी बनवा दिया। कुल मिलाकर जगदलपुर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने जिन महिलाओं को मैदान पर उतारा है, उनमें कई दागी महिलाएं हैं, जिनके पक्ष में मतदान करने से पहले जगदलपुर के जागरूक मतदाता अनेक बार विचार-मंथन जरूर करेंगे।

 

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