एसबीआई घरघोड़ा शाखा की कार्यप्रणाली से ग्राहक हो रहे परेशान
बैंक कर्मी समय से पहले चले जाते हैं लंच पर, दो-तीन घंटे रहते हैं नदारद
घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता) । देश में सबसे बड़ा बैंक होने के तमका को धूमिल करता घरघोड़ा भारतीय स्टेट बैंक शाखा, एक तरफ केन्द्र सरकार देश के प्रत्येक व्यक्ति को बैंक से जोड़ने का प्रयास कर रही है। वहीं रायगढ़ जिले के एस.बी.आई. (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) घरघोड़ा शाखा अपने साख को डूबोने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं, वनांचल ग्रामीण क्षेत्र होने के साथ यहां चारों ओर उद्योग खदान संचालित है, इस कारण से रूपयों का अत्यधिक लेन देन होता रहता है, उद्योग के द्वारा लगातार इस क्षेत्र में भूमि मुआवजा वितरण होता रहता है इस कारण अधिकांश किसान पैसों को बैंक में ही जमा रखते हैं, डिजिटल सिस्टम के नवाचार में हमेशा अपटेड होता रहता है बैंक के नियम जिसकी जानकारी उच्च शिक्षित व्यक्ति को भी समझने में समय लगता है वहीं घरघोड़ा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी अपने उत्तरदायित्व से मुखर बैंक के उपभोक्ताओं से असभ्य भाषा में पेश आते हैं, आज स्मार्ट मोबाइल का युग है फिर भी हमारे समाज के दुरांचल के लोग स्मार्ट जीवनशैली में परफेक्ट नहीं हो पाये है इसके लिए सरकार आमजन को असुविधा ना हो कर के शासकीय संस्थानों में आमजन की सहायता के लिए कर्मचारियों की अलग-अलग नियुक्ति कर रही है परन्तु वहीं वेतन भोगी मोबाइल नहीं होने ओटीपी, केवाईसी, जैसे विषयों पर असभ्य तरीके से व्यवहार करते हुए बैंक में बेइज़्ज़त कर वापस भेज दिया जाता है जबकि इन्हीं नवीन व्यवस्था को लागू कर दुरूस्त कर जन जन को जोड़ने का प्रयास सरकार कर रही है परन्तु ऐसे गैर जिम्मेदाराना कर्मचारियों के कारण पूरी सरकार व संस्थान का नाम समाज में खराब हो रही है। उम्रदराज ग्रामीण किसान मजदूर वर्ग में बहुत बड़ी संख्या में शिक्षा का अभाव आज भी है, इस कारण उन्हें समस्याओं से जूझना पड़ता है, सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है बैंकों में उपभोक्ताओं के अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करें व किसी तरह की समस्याओं के निदान तुरंत मिले इस लिए मुख्य द्वार पर सहायता केन्द्र की आवश्यकता होती है जिसके सहयोग से बैंकों में अपना लेन-देन जमा निकासी लोन अन्य जैसे विषयों को समझ कर समुचित रूप से क्रियान्वित कर सकें इस लिए बैंकों में अलग से व्यवस्था करने का प्रवधान है, किसी भी बैंक का प्रयास होता है उनके संस्था में अधिक से अधिक उपभोक्ता जूड़े और ग्राहकों को हर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये परन्तु देश का सबसे बड़ा बैंक कहे जाने वाले बैंक की एक मात्र बैंक शाखा होगी जो अपने ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार नहीं करती? बिना सुविधा के शाखा चल रहा है अपने उपभोक्ताओं को हर छोटी-बड़ी विषय के लिए घुमाया जाता है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक का सभी बैंकों को निर्देश है ग्राहकों को आवश्यक हर बुनियादी सुविधाएं बैंक परिसर में ही उपलब्ध कराई जाये विशेष कर पिछड़े क्षेत्रों में रहने वालों को बैंक प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदाय किया जाये और इसे आसान शब्दों में समझाने की जवाब देही बैंक प्रबंधन व शाखा प्रबंधक की बनती है, इसके लिए बैंकों में अलग अलग पटल की सुविधा उपलब्ध कराई जाये जिससे किसी भी व्यक्ति को बैंक द्वारा चाही गई आवश्यक जानकारी के लिए असुविधा ना हो।
भारतीय रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं को वे 5 अधिकार प्रदाय किया हैं ? पहला है सही व्यवहार पाने का अधिकार, दुसरा है पारदर्शिता और ईमानदारी का अधिकार, तीसरा है उपयुक्तता का अधिकार, चौथा है निजता का अधिकार, पांचवां है शिकायत निवारण का अधिकार, यह सभी अधिकार विशेष रूप से बैंक ग्राहकों को प्रदाय करता है अगर कोई बैंक इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके लिए रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं को किसी बैंक की शिकायत करनी हो तो उसके लिए उपभोक्ता सीधे वेबसाइट https://cms.rbi.org.in पर जाकर शिकायत कर सकते हैं, इसके साथ ही आप CRPC@rbi.org.in पर ईमेल भी कर सकते हैं, भारत के किसी कोने से आप टोल फ्री नंबर 14448 पर भी कॉल करके आप संबंधित बैंक की शिकायत कर सकते हैं।
हमारे सूत्र बताते हैं घरघोड़ा क्षेत्र के एस.बी.आई. के उपभोक्ताओं द्वारा बैंक प्रबंधन व शाखा प्रबंधक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है, बैंक में सुविधाओं की कमी के साथ बैंक शाखा में कर्मचारियों का अभाव बैंक कर्मचारीयों की आवश्यकता अनुसार नहीं होने से यहां कार्यरत कर्मचारियों पर कार्य भार अधिक होने के कारण चिड़चिड़ापन व्यवहार करते हैं, अब ग्राहकों का अधिकार है जो समझ ना आये उसे पुछने का सवाल करने का ? वर्तमान बैंक जहां पर संचालित है वह उपभोक्ताओं के लिए बहुत छोटा पड़ता है, सिंगल काउंटर के कारण महिला पुरुष की लंबी कतार देखनें को मिलती है।
इस कारण भारतीय स्टेट बैंक शाखा में उपभोक्ताओं का लेनदेन अब आसान नहीं रह गया। रकम आहरण करना चेक या फिर रकम आहरण पश्चात पासबुक एंट्री या रकम जमा करने तक लिए चौतरफा संकट से गुज़र कर भारी मस्तक करनी पड़ रही है हाल यह है रोज उपभोक्ता वर्ग को बैंक में जूझना पड़ता हैं। ऐसा नजारा रोजाना लगने वाली लंबी लाइनों के बीच देखने को मिल जाएगा महिला हो या पुरुष घंटों कतारबद्ध होकर अपनी पारी के इंतजार में लंबे समय तक बैंक में मिलेंगे, आप उन लोगों की व्यथा का अंदाजा लगा सकते हैं जिन्हें बैंक कर्मचारियों द्वारा दो शब्द सुनाकर काउंटरों पर घुमाया जाता है, परेशान होकर दिन भर बैठने को मजबूर रहता है आमुमन ग्रामीण क्षेत्रों के साथ यह व्यवहार देखने को मिलता है।
आम उपभोक्ता भले से घंटों कतार में लगकर काउंटर में बैठे अधिकारी कर्मचारी तक पहुंचने समय गवाएं, मगर लंच का समय हुआ नहीं कि ये बैंक कर्मी ग्राहक की विवशता समझे बगैर काउंट छोड़ बंद कर देते हैं, शाखा के मुख्य प्रबंधक को भी रोजाना ग्राहकों के साथ बनने वाली विषम परिस्थितियों से कोई लेना-देना नहीं रहता। बैंक प्रबंधन की ओर से ग्राहकों को परेशानी से निजात दिलाने के लिए किसी प्रकार की अतिरिक्त काउंटर की व्यवस्था नहीं की जाती है, जबकि घरघोड़ा शाखा में दिनों दिन उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि होती जा रही है, हमें नव खाता धारक खुलवाने वाले भी देखने मिलते हैं जिनका खाता खोलने में कर्मचारी को मन नहीं रहता, तरह तरह के बहाने बनाने लगते हैं, जिससे आम ग्राहकों को अफसोस कर रह जाना पड़ता है। ग्राहकों को बैंक प्रबंधन आम और खास वर्ग में बांट कर रखा है, वीआईपी सीधे प्रबंधक तक पहुंच बनाकर अपना काम चाय की चुस्कियां के साथ मिनटों में निपटा कर चले पड़ते हैं आम ग्राहक भीड़ में संघर्ष करता रह जाता हैं।
स्टेट बैंक में कई कर्मचारी तो ऐसे हैं जो ग्राहक से सीधे मुंह बात नहीं करना चाहते कुछ ही ऐसे अधिकारी व कर्मचारी शेष है जो ग्राहकों की बातों के प्रति गंभीर होते हैं। ऐसे में पूर्व के उन अधिकारियों की याद ताजा होती है जो अपनी कुर्सी छोड़ कर परेशान बैंक उपभोक्ता को रकम तक आहरण करा कर दे जाते थे। यही नहीं लोन आदि के स्वीकृत को लेकर परेशान संबंधी तो का काम बिना किसी डिमांड के अपना कर्तव्य धर्म समझकर कुर्सी की मर्यादा बनाए रखते हैं, पेंशनर्स वर्ग हो या महिलाएं उन्हें ऐसे अधिकारियों से प्रभावित किया है और प्रशंसा करते थकते नहीं थे। बैंक खाता आज हर आम व्यक्ति के लिए जरूरी हो गई है चाहे वह किसान हो या सामान्य मजदुर देश में जीएसटी लागू होने के बाद आनलाइन लेन देन का चलन बढ़ा है, इस कारण हर वर्ग के पास किसी ना किसी बैंक में खाता है सबकी विश्वास व पहली पसंद शासकीय बैंक होती है जहां वह निष्फिक्र रहता है, इस कारण एसबीआई बैंक पहली पसंद है यहां खाता धारकों की संख्या बढ़ रही है बैंक में आज देश का सबसे अधिक राशि जमा होने से सरकार को लगातार लाभ मिल रहा है, संभाग मुख्यालय के हर कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी का वेतन आहरण व अन्य लेनदेन करने के लिए इस बैंक में खाता मिलेगा इस क्षेत्र में निवास करने वाले कर्मचारियों का सारा लेन देन घरघोड़ा स्टेट बैंक से होता है। ऐसे में माह के शुरुआती समय मे वेतन पेंशन वालों की संख्या दिखाई देती है, व्यवस्था के अभाव में असहाय वरिष्ठ जन ग्राहको की शिकायते बैंक से बहुत रहती है। तब भी हालत जस के तस है अन्य शाखाओं की तुलना में घरघोड़ा शाखा सबसे अधिक राजस्व अर्जित करता है फिर भी अन्य शाखाओं जैसी सुविधाएं तक नहीं दे पाती है, जिसका निदान करना आवश्यक है व्यवस्था सुधार नहीं होने से उपभोक्ताओं का आक्रोश भविष्य में देखने को मिल सकता है।