उच्च शिक्षा में आदिवासी छात्रा ने गाड़े झण्डे , विधि में अव्वल आकर पाए दो गोल्ड मैडल
सुकमा। सुकमा जैसे सुविधाविहीन आदिवासी बहुल जिले में रहकर योग्यता हासिल करना बेशक मुश्किल का काम हो, लेकिन अगर इरादे मजबूत हों और हौसले बुंलद हों तो सफलता का कदम चूमना तय है।
कुछ इसी तरह की कामयाबी हासिल की है, जिले के छोटे से गांव पाकेला में रहने वाली दीपिका शोरी ने। छोटे से गांव से निकल कर बस्तर विश्वविद्यालय से विधि में सर्वोच्च अंक हासिल करके दीपिका ने दो गोल्ड मैडल हासिल किए हैं।
गुरुवार को हुए विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल अनुसुइया उइके की मौजूदगी में पद्मश्री डॉ. अनिल गुप्ता ने दीपिका शोरी को डिग्री तथा गोल्ड मैडल से नवाजा गया। सुमा जिले के लिए यह पहला अवसर था, जब किसी छात्रा ने विधि में अव्वल आकर गोल्ड मैडल हासिल किया है।
सुकमा जिले के पाकेला तथा छिंदगढ़ में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाली दीपिका के हौसले प्रारंभ से ही बुलंद थे। शिक्षक माता-पिता की छत्रछाया में उसने उच्च शिक्षा हासिल करने का लक्ष्य बनाया और इसे हासिल करने के लिए वह जगदलपुर आ गई। स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के बाद उसने कानून की पढ़ाई शुरू की और 2016-17 की परीक्षा में सर्वोच्च अंक हासिल करके कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
गोल्ड मैडल हासिल करने के बाद इसका श्रेय पिता संतकुमार शोरी तथा माता रेखा शोरी को देते हुए दीपिका का कहना है कि इस उपलब्धि से वह बेशक खुश है परंतु सच्ची प्रसन्नता तब होगी, जब यह शिक्षा गरीब, असहाय तथा महिलाओं के काम में आएगी।
दीपिका का सपना है कि वह कानून के माध्यम से इन सभी की सहायता करे, इसलिए उसने विधि में उच्च शिक्षा हासिल करने का फैसला किया है। पहले वकालत और फिर न्यायपालिका में शामिल होकर वह समाज के कमजोर तबके की मदद करना चाहती है। उसने बताया कि वह प्रदेश के उस जिले का प्रतिनिधित्व करती है, जो विकास से कोसों दूर है तथा वहां की साक्षरता की दर भी बेहद कम है।
यही वजह है कि वहां के वनवासियों को शासकीय योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं मिल पाता है। कानून की शिक्षा के माध्यम से वह अपने क्षेत्र में इस समुदाय के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की इच्छा रखती है। इसके पीछे की वजह बताते हुए दीपिका का कहना है कि ऐसा करके वह अपनी मातृभूमि का कर्ज अदा करने की कोशिश करेगी।