नक्सली हुए कमजोर , कुछ दिन बाद गिनती के रह जाएंगे: सीएम

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जगदलपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों और नक्सलियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर 2023 में फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है तो नक्सली और पीछे हटने मजबूर हो जाएंगे और इनकी संख्या गिनती की ही रह जाएगी। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने के बाद हमने आदिवासी और नक्सली में फर्क को समझा। इसे लेकर उन्होंने पूर्ववर्ती रमन सरकार को भी निशाने पर लिया।मुख्यमंत्री ने कहा कि खुद को कमजोर होते देख नक्सलियों ने अब लड़ाई का तरीका भी बदल दिया है। उनका संगठन काफी कमजोर हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले आदिवासियों के साथ ज्यादती हो रही थी। बेगुनाह आदिवासियों को जेलों में ठूंसा जाता था। हमने उन्हें रिहा कराया। कांग्रेस की सरकार आने के बाद आदिवासी और नक्सली में फर्क को समझा गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं का जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन हुआ, जिसकी वजह से ट्राइबल का विश्वास बढ़ा और उन्होंने नक्सलवाद से तौबा कर ली। नगरनार इस्पात संयंत्र के डिसइन्वेस्टमेंट को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपनी भावना से केंद्र सरकार को अवगत करा दिया है। छत्तीसगढ़ और बस्तर के लोगों की अपेक्षा है कि नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण करने की बजाय किसी सरकारी कंपनी को ही संचालन करने के लिए दिया जाए। अब केंद्र इस पर क्या निर्णय लेती है यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘सर्व आदिवासी समाजÓ को लेकर कहा कि आदिवासी समाज सरकार से नाराज नहीं है और जो लोग चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं उनमें भी दो धड़े हैं। मुख्यमंत्री का बयान ऐसे वक्त आया है जब ‘सर्व आदिवासी समाजÓ नाम के संगठन ने आगामी चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। दो दिवसीय बस्तर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज सरकार से नाराज नहीं है और जो लोग चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं उनमें भी दो फाड़ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक पंजीकृत है और जो लोग चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं , वे राजनीतिक दल भी नहीं हैं।
हॉस्टलर्स से जीएसटी वसूलना गलत , गरीब बच्चे तो पढ़ाई छोड़ देंगे: सीएम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खत भेजा है। मामला हॉस्टल में रहने वाले बच्चों से जीएसटी वसूलने का है। मुख्यमंत्री ने इस फैसले में बदलाव कर हॉस्टल वाले स्टूडेंट्स को जीएसटी के भार से अलग करने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा कि पूर्व से ही गरीब और निम्न मध्यम वर्ग महंगाई की मार से पीड़ित है। प्राधिकरण के इस निर्णय से यह भी संभव है अनेक गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़कर मूल निवास स्थान में वापस जाने को विवश होना पड़े। अनुरोध है कि केंद्र सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप कर हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को 12 प्रतिशत जीएसटी के अतिरिक्त भार से पहले से फ्री करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें।
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