गाड़ा जाति आदिवासी संवर्ग का होते हुए भी सरकार की गलती की वजह से अनुसूचित जाति का दंश झेल रहा : गनपत चौहान
घरघोड़ा (गौरी शंकर गुप्ता)। अखिल छत्तीसगढ़ चौहान कल्याण समिति के उपाध्यक्ष,मूल छत्तीसगढ़िया गाड़ा समाज विकास परिषद के तत्कालीन महासचिव गनपत चौहान बतलाते हुए कहते है कि स्वतंत्र भारत में बनी मध्यप्रान्त नागपुर बरार सरकार का 1949-50 में अनुसूचित जनजाति वर्ग में दोषित किया गया था उस दौर में हमारा समाज आदिवासी संवर्ग में था किन्तु 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ तब हमारी जाति गाड़ा को सरकार की गलती कहे या टंकन त्रुटि या मात्रा त्रुटि कहे अनुसूचित जाति वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया गया जिसका विरोध हमारे पुर्वज द्वारा उस दौरान किया गया किन्तु हमारे समाज के नेतृत्वकर्ता कम पढ़े लिखे होने और ज्यादा प्रभावशाली नहीं होने के परिणाम स्वरूप जिनकी आवाज संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों आला राजनीतिक नेताओं तक नहीं पहुंची किन्तु 1982 से अखिल छत्तीसगढ़ चौहान कल्याण समिति केन्द्रीय अध्यक्ष स्व बी आर चौहान के नेतृत्व में बरार सरकार नागपुर के 49-50 के दस्तावेजों को निकाल कर लिखा पढ़ी की गई और उसके बाद मूल छत्तीसगढ़िया गाड़ा समाज विकास परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष सुन्दर दास कुलदीप के नेतृत्व में 2003 में तत्कालीन जोगी सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग,मात्रा सुधार उपसमिति का परीक्षण प्रतिवेदन राजेन्द्र पामभोई के प्रतिवेदन पर 4 मार्च 2003 की तिथि में छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व सचिव एके द्विवेदी द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय शास्त्री भवन नई दिल्ली में गाड़ा जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करने के संबंध में एक पत्र भेजकर गाड़ा जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की अनुशंसा की गई थी! गनपत चौहान ने यह भी कहा कि उक्त तिथि के दो दशक व्यतीत हो जाने के बाद किसी भी सरकारों ने गाड़ा जाति के मात्रा त्रुटि पर कोई भी फैसला नहीं लिया जबकि हाल ही में केन्द्र की मोदी सरकार ने 12 अनुसूचित जनजातियों को मात्रा त्रुटियों को सुधार कर एक बड़ा फैसला लिया पर गाड़ा जाति को नजर अंदाज कर दिया गया जो हमारे जाति समाज के लिए यह अत्यंत ही दुर्भाग्यजनक बात है ।
दिल्ली के जंतर-मंतर में करेंगे धरना प्रदर्शन
आज विश्व आदिवासी दिवस पर गनपत चौहान कहते है गाड़ा जाति को आदिवासी संवर्ग में बहाली की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन देंगे, इसके पूर्व छत्तीसगढ़ के समस्त वरिष्ठ सामाजिक पदाधिकारियों से विचार विमर्श कर समन्वय स्थापित होने के बाद एक निश्चित तिथि तय कर समस्त दस्तावेजों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर समाज के साथ अन्याय को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और जनजातीय कार्य मंत्रालय को आवेदन देकर अपनी वर्षो पुरानी मांग आदिवासी संवर्ग में बहाली की मांग करेंगे ।