क्षेत्र के अधिकांश लोग आज भी जाते है खुले में शौच
गुणवत्ता विहीन शौचालय का निर्माण भी एक कारण
घरघोड़ा। ओडीएफ अर्थात् खुले में शौच मुक्त चिन्हित गांव में ओडीएफ उत्सव मनाया गया है फिर भी वहां के लोगों को खुले में शौच से मुक्त नहीं मिल सकी है। पूर्व में निर्मल ग्राम योजना के तहत निर्मित शौचालय की तर्ज पर शौचालय निर्माण किया जा रहा है । निहायत गुणवत्ता विहीन निर्माण की वजह से लोग शौचालय का उपयोग करने से कतरा रहे हैं। पानी की व्यवस्था, सोख्ता, पाइप का विस्तार सहित विभिन्न अव्यवस्थाओं के कारण शौचालय का उपयोग किया जाना संभव नहीं है। निर्मित शौचालयों की दशा यह है कि लंबे समय तक इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कार्य में केवल औपचारिकता बढ़ती जा रही है । ओडीएफ के लिए चिन्हाँकित गांव में तामझाम के साथ उत्सव मनाने की कवायद तो पूरी की जा रही है। किंतु इन गांव के रहवासी अब भी खुले में शौच जाने पर मजबूर है। कारण यह है कि शौचालय के लिए जिस तरह से गुणवत्ता विहीन सोख्ता नीव विहीन सुलभ के लिए दीवार खड़ी की गई है वह कभी भी भरभरा कर नीचे गिर सकती है । ऐसे में आकस्मिक दुर्घटना की आशंका से ग्रामीण शौचालय का उपयोग करने कतरा रहे हैं। कुछ गांव के ग्रामीण बताते हैं कि शौचालय निर्माण के दौरान शौचालय बनाने वालों ने आनन-फानन में एक ही दिन में थोड़ा न्यू खोदकर दीवार खड़ी कर दी उनका कहना है कि सोखता (टंकी) तो बनाया गया है लेकिन लंबाई ,चौड़ाई और गहराई कि मापदंड़ नियम अनुसार नहीं होने के कारण लंबे समय तक उसका उपयोग हो पाना संभव नहीं है। टंकी में सीमेंट के ढक्कन की जगह पत्थर से ही ढक दिया गया शौचालय निर्माण के लिए गांव का चिन्हाकन हुआ उस दौरान अधिकारियों का लगातार दौरा गांव में जारी था। घटिया शौचालय निर्माण केवल एक-दो गांव में ही नहीं हुआ है। बाकी के पोल भी धीरे-धीरे खुलते जा रही है। शौचालय निर्माण की पूर्णता गुणवत्ता तभी मानी जाएगी जब शौचालय पूर्ण रूप से उपयोग में आ जाए नियमानुसार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के बाद ही शौचालय का निर्माण पूर्ण माना जाएगा । उपयोगिता में नहीं आने के बाद भी कई गांव में ओडीएफ उत्सव मना दिया गया है। लिहाजा गुणवत्ता विहीन निर्माण के शौचालय के बाद गांव को खुले में शौच मुक्त ग्राम मान लिया जाना बेमानी माना जा सकता है।